अमेरिका में भारतीय मूल के सांसदों ने उम्मीद जताई है कि अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में अगर मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की जगह जो बिडेन चुने जाते हैं तो पेशेवर भारतीयों पर लगे ग्रीन कार्ड (Green Card) की पाबंदी को हटा सकते हैं. भारतीय मूल के पेशेवर इस बात से परेशान हैं कि H-1B वीजा पर आए लोगों को ग्रीन कार्ड प्राप्त करने के लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ता है. अमेरिकी सांसदों ने कहा कि उम्मीद है कि जो बिडेन प्रशासन पाबंदी नियमों में ढील देकर स्थाई निवास के लिए कानूनी अड़चनें दूर करेगा.
ग्रीन कार्ड, जिसे आधिकारिक रूप से स्थायी निवास कार्ड के रूप में जाना जाता है, अमेरिका में अप्रवासियों को जारी किया गया एक दस्तावेज है, जो इस बात का सबूत है कि उसके धारक को अमेरिका में स्थायी रूप से निवास करने का विशेषाधिकार प्राप्त है. यह गैर-अमेरिकी नागरिकों को अमेरिका में स्थायी रूप से रहने और काम करने की अनुमति देता है.
भारतीय आईटी पेशेवर, जिनमें से अधिकांश अत्यधिक कुशल हैं, मुख्य रूप से H-1B वर्क वीजा पर अमेरिका आते हैं. ये लोग मौजूदा आव्रजन प्रणाली से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं, जो स्थायी कानूनी निवास के लिए जारी होने वाले ग्रीन कार्ड के आवंटन पर प्रति देश सात प्रतिशत का कोटा लगाते हैं.
फेयरनेस फॉर हाई स्किल्ड इमिग्रेंट्स एक्ट के मूल सह-प्रायोजकों में से एक, और इलिनोइस के डेमोक्रेटिक सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने शनिवार को कहा कि रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड से प्रति देश प्रति व्यक्ति की सीमा पाबंदी हटाने से भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए ग्रीन कार्ड का बैकलॉग हट जाएगा. इससे आईटी उद्योग में पेशेवरों की कमी भी दूर हो जाएगी.
एक दिवसीय IMPACT समिट में कृष्णमूर्ति ने अन्य तीन भारतीय मूल के सांसदों- डॉ. अमी बेरा, प्रमिला जयपाल और रो खन्ना के साथ एक वर्चुअल पैनल डिस्कशन के दौरान कहा, "मुझे उम्मीद है कि व्यापक आव्रजन सुधार पैकेज के तहत, जो बिडेन प्रशासन के तहत, हम आखिरकार सीनेट के माध्यम से इस कानून को प्राप्त करने में सक्षम होने जा रहे हैं, और फिर कानून के तौर पर इस पर निश्चित रूप से हस्ताक्षर किए जाएंगे."
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