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भारतीय विद्यार्थियों को लौटा रहा अमेरिका? क्यों, पढ़ें ये खबर

प्रतीकात्मक चित्र
वाशिंगटन: चाहे इसे चुनाव से पहले होने वाले आडंबर का नाम दें या फिर पेरिस और सेंट बर्नार्डिनो के आतंकी हमलों की प्रेतछाया, हकीकत यही है कि अमेरिका आने वाले कई भारतीय विद्यार्थी खुद को फंसा हुआ पा रहे हैं। इनमें से कई को बिना किसी खता के अमेरिका में नहीं घुसने दिया गया और वापस भेज दिया गया।

ये विद्यार्थी वैध एफ-1 वीजा के साथ आए थे। इन्हें भारत में अमेरिकी दूतावास ने जारी किया था। शिक्षा संस्थानों की तरफ से जारी दाखिला प्रमाणपत्र इनके पास था, इस सबके बावजूद इन्हें वापस लौटा दिया गया।

कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि 60 से 70 विद्यार्थियों को वापस भेजा गया है। यह तब किया गया, जब भारत सरकार ने यह कहा था कि इन्हें दिए गए वीजा का सम्मान किया जाए।

सेंट बर्नार्डिनो में पाकिस्तानी जोड़े ने 2 दिसंबर को आतंकी हमला किया था। इसके दो हफ्ते बाद से भारत के विद्यार्थियों पर गाज गिरनी शुरू हुई। एयर इंडिया से कहा गया कि वह उन 14 भारतीय विद्यार्थियों को वापस ले जाए जो यहां काली सूची में डाले जा चुके फर्जी स्कूलों में दाखिला लेने आए हैं।

लेकिन, सैन होजे की सिलिकॉन वैली युनिवर्सिटी (एसवीयू) और फ्रेमोंट के नार्थवेस्टर्न पॉलिटेक्निक (एनपीयू) ने इस बात को गलत बताया कि उन्हें काली सूची में डाला गया है या वे किसी भी तरह की सरकारी जांच का सामना कर रहे हैं।

एनपीयू ने इस स्थिति के लिए एयर इंडिया को जिम्मेदार ठहराया। उसने इशारा किया कि चूंकि अमेरिका में प्रवेश की अनुमति न मिलने पर उसे बिना किराया मिले, मुफ्त में विद्यार्थियों को वापस ले जाना पड़ता है, इसलिए वह खुद ही विद्यार्थियों को भारत से लाने में आनाकानी कर रही है।

एयर इंडिया ने यह आनाकानी पहली बार विद्यार्थियों को वापस भेजने के बाद शुरू की। लेकिन, अब कहा जा रहा है कि वापस की यात्रा का किराया लेने की शर्त पर विमानन कंपनी फिर विद्यार्थियों को ले जा रही है।

लेकिन, बीते कुछ हफ्तों में अन्य हवाई सेवाओं से आए विद्यार्थियों को भी वापस भेजा गया है। इनमें से कुछ प्रतिष्ठित स्कूलों में दाखिला लेने आए थे।

राजनयिक सूत्रों का कहना है कि अमेरिका ने इस बात से इनकार किया है कि बड़े पैमाने पर विद्यार्थियों को वापस भेजा गया है। कहा गया है कि अमेरिका के सीमाशुल्क एवं सीमा सुरक्षा विभाग के अधिकारी खुद फैसला लेते हैं कि मामला वाजिब है या नहीं।

कुछ मामलों में विद्यार्थियों को यही नहीं पता था कि वे क्या पढ़ने आए हैं, वे कहां टिकेंगे और अपना खर्च कैसे उठाएंगे। विद्यार्थियों को कुछ अपवादों को छोड़कर काम करने की इजाजत नहीं होती।

ऐसा नहीं है कि केवल भारत के छात्रों को ही वापस भेजा गया है। अन्य देशों के छात्रों के साथ भी ऐसा सलूक हुआ है। एनपीयू अध्यक्ष पीटर सेह ने स्कूल वेबसाइट पर लिखा है कि जिन विद्यार्थियों के पास वैध दस्तावेज हैं, उन्हें नहीं रोका जा रहा है।

लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और है। ज्ञात सूत्रों का कहना है कि ऐसा लगता है कि भारत में अमेरिकी मिशनों और अमेरिका के अधिकारियों के बीच तालमेल का अभाव है। यह तथ्य कि बड़ी संख्या में भारतीय विद्यार्थियों को लौटाया गया है, इस बात का सबूत है कि भारत में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास वीजा जारी करने से पहले पूरी जांच-पड़ताल नहीं कर रहे हैं।

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