US Election 2024: अमेरिका किस रास्ते जाएगा? क्या उसी रास्ते जिस पर अब तक वो चल रहा है या बदलाव होगा? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए 5 नवंबर को चुनाव है. कमला हैरिस (Kamala Harris) और डोनाल्ड ट्रंप (USA Election) में से कोई एक अगला अमेरिका का राष्ट्रपति होगा. मगर ये चुनाव खुद अमेरिका के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. अमेरिका के लोकतंत्र में कभी इतना विरोध नहीं देखा गया. दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच इस बार सभी मुद्दों पर असहमति है.
देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने की दावेदारी पेश कर रही कमला हैरिस लोगों को यह संदेश देने कि कोशिश कर रही हैं कि ट्रंप अमेरिकी लोकतंत्र के लिए खतरा हैं.वहीं ट्रंप 2020 में हारने के बाद व्हाइट हाउस में वापसी की जोरदार कोशिश कर रहे हैं. फॉक्स न्यूज को शनिवार सुबह दिए एक साक्षात्कार में ट्रंप ने बाइडन-हैरिस प्रशासन के तहत अर्थव्यवस्था की स्थिति पर तंज कसते हुए शुक्रवार को जारी नौकरियों के निराशाजनक आंकड़ों को अपने लिए एक गिफ्ट बताया.दोनों उम्मीदवार की रैलियां सोमवार देर रात समाप्त हो जाएंगी.चुनाव का दिन मंगलवार है, लेकिन अमेरिकी हफ्तों से जल्दी मतदान कर रहे हैं.जॉर्जिया में रिकॉर्ड चार मिलियन सहित 72 मिलियन से अधिक मतपत्र पहले ही डाले जा चुके हैं.ओपिनियन पोल्स में दोनों उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है.जानिए वो मुद्दे जिनपर टिका है अमेरिका का चुनाव और दुनिया का भविष्य...
अमेरिका के इस चुनाव में गर्भपात बड़ा मुद्दा बन गया है. कमला हैरिस इसे जोरशोर से उठा रही हैं.यहां तक की दूसरे प्रेसिडेंशियल डिबेट में भी कमला का ये पसंदीदा विषय था.ये बहस फिलाडेल्फिया स्थित नेशनल कॉन्स्टिट्यूशनल सेंटर में हुई थी.उसके बाद से कमला ने इस मुद्दे को ट्रंप के खिलाफ मानो ट्रंप कार्ड बना लिया.कमला हैरिस ने हर रैली में कह रही हैं कि ट्रंप राष्ट्रपति बनने पर राष्ट्रीय गर्भपात प्रतिबंध पर हस्ताक्षर करेंगे. कमला ने ट्रंप के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के बयान का जिक्र भी बार-बार कर रही हैं. ट्रंप के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ने कहा था कि नौवें महीने में गर्भपात बिल्कुल ठीक है. हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप लगातार इस दावे को झूठा बता रहे हैं.वह कई बार कह चुके हैं कि वो प्रतिबंध पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. हालांकि, ट्रंप को लेकर बहुत हद तक महिलाओं के मन में कमला शंका के बीज बोने में सफल दिख रही हैं. अब देखना ये है कि महिला वोटर कितना कमला का साथ देती हैं.
अर्थव्यवस्था के मसले पर ट्रंप भारी पड़ते दिख रहे हैं. वे कमला हैरिस को इस मुद्दे पर बड़ी आसानी से घेर ले रहे हैं. अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर काफी हद तक समाप्त होने की कगार पर है. इस सेक्टर में ज्यादातर कम पढ़े लिखे अमेरिकी काम किया करते थे. अब इस सेक्टर पर संकट से अमेरिका में बेरोजगारी काफी हो गई है. ट्रंप तो यहां तक चेतावनी दे रहे हैं कि अगर हैरिस चुनी गईं तो अमेरिका में साल 1929 जैसी आर्थिक मंदी आ सकती है. फॉक्स सैटरडे से बात करते हुए ट्रंप ने शुक्रवार को जारी किए गए कमजोर रोजगार आंकड़ों को 'सबसे खराब जॉब नंबर' बताया.ट्रंप के इन बयानों का अमेरिका में काफी असर देखा जा रहा है. लोग इसे गंभीरता से ले रहे हैं. वहीं कमला हैरिस इन दावों का खंडन तो कर रही हैं, लेकिन अब तक कोई जोरदार तर्क या कोई उपाय नहीं बता सकी हैं.
डोनाल्ड ट्रंप रोजगार से ही जोड़ते हुए इमिग्रेशन को भी बड़ा मुद्दा बना रहे हैं. वह आरोप लगा रहे हैं कि अमेरिका की आर्थिक कठिनाइयों के लिए अप्रवासी जिम्मेदार हैं.ट्रंप ने तो यहां तक कहा कि अमेरिका में जो बाइडेन सरकार ने अपने कार्यकाल में अवैध प्रवासियों, आतंकवादियों और अपराधियों को देश में आने दिया.इन लोगों ने इस देश के सिस्टम को नष्ट कर दिया है. वहीं कमला हैरिस इसे अमेरिका का वैल्यू सिस्टम बता रही हैं. वो बता रहीं हैं कि अमेरिका अप्रवासियों के कारण ही बना है. इस मामले में अप्रवासियों की सहानुभूति कमला हैरिस के साथ हो सकती है. वो कमला हैरिस का सपोर्ट कर सकते हैं. हालांकि, ट्रंप ने बांग्लादेश के हिंदुओं के पक्ष में बयान देकर और पीएम मोदी की कई बार तारीफ कर ये साबित किया कि वो भारतीयों के साथ हैं और उनके सच्चे मित्र हैं. इस कारण हो सकता है कि अमेरिका में रहने वाले भारतीय डोनाल्ड ट्रंप का सपोर्ट करें. हालांकि, कमला हैरिस का भारत से नाता रहा है. हालांकि, बांग्लादेश के हिंदुओं के मामले में भी उन्होंने कभी टिप्पणी नहीं की.
डोनाल्ड ट्रंप युद्ध के एकदम खिलाफ हैं. वो यूक्रेन को जारी मदद को एकदम बंद करना चाहते हैं. वो तो यहां तक कह चुके हैं कि अगर वो जीते तो यूक्रेन को कहेंगे कि रूस के हिसाब से समझौता करे या फिर खुद अपनी लड़ाई लड़े. वहीं गाजा-इजरायल युद्ध में भी वो खुलकर इजरायल के पक्ष में हैं. हालांकि, कमला हैरिस का कहना है कि वह चुनाव जीत कर यूक्रेन की मदद जारी रखेंगी. इजरायल को वो भी मदद करने की बात तो कह रही हैं, लेकिन एकतरफा सपोर्ट जैसी बात नहीं दिख रही. यही कारण है कि अमेरिका में रहने वाले मुस्लिम मतदाता कमला हैरिस के पक्ष में नजर आते हैं. वहीं ट्रंप इनकी भरपाई यहूदी और हिंदू वोटरों के जरिए करना चाहते हैं. साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध से पीछा छुड़ाकर गरीब और बेरोजगार अमेरिकियों को अपने पक्ष में करना चाह रहे हैं. जाहिर इस मुद्दे पर दोनों को अलग-अलग तबके के वोट मिलेंगे.
चीन और नाटो को लेकर भी दोनों उम्मीदवार एकदम दो छोर पर खड़े हैं. ट्रंप जहां चीन को दुश्मन नंबर वन मानते हैं. वहीं कमला हैरिस रूस को दुश्मन नंबर वन मानती हैं. ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि वो चुनाव जीतकर चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे. इसमें टैरिफ बढ़ाना खास तौर पर शामिल है. इसके साथ ही नाटो से अलग होने का भी ट्रंप पर कई लोग आरोप लगा रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि ट्रंप अगर चुनाव जीते तो वो ऐसी स्थिति पैदा कर देंगे कि अमेरिका नाटो से अलग हो जाए. हालांकि, खुद ट्रंप ने ऐसा कभी नहीं कहा है लेकिन वो नाटो में सबसे ज्यादा अमेरिका के खर्च को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. वहीं कमला हैरिस नाटो को मजबूत करने के पक्ष में हैं. साथ ही चीन के साथ बीच का मार्ग रखते हुए यथास्थिति को बरकरार रखना चाहती हैं. ट्रंप इसी को लेकर कमला हैरिस पर सवाल उठा रहे हैं. अब ये अमेरिका की जनता को तय करना है कि वो किस विकल्प को ज्यादा पसंद कर रही है. हालांकि, इन्हीं मुद्दों के कारण ये चुनाव न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हो गया है.
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Reported by: NDTV इंडिया, Edited by: रितु शर्मा© Copyright NDTV Convergence Limited 2024. All rights reserved.