अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की तस्वीर करीब-करीब साफ हो गई है. पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप बड़ी जीत की ओर बढ़ रहे हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस उनसे काफी पीछे चल रही हैं. रिपब्लिकन पार्टी को सीनेट में बहुमत भी हासिल हो गया है. इसके साथ ही यह भी चर्चा होने लगी है कि ट्रंप के शासनकाल में भारत-अमेरिका के रिश्ते किस दिशा में जाएंगे. ट्रंप कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बता चुके हैं. दोनों नेताओं के बीच केंमेस्ट्री भी अच्छी नजर आती है. पिछले दो दशक से भारत-अमेरिका के रिश्तों में काफी सुधार हुआ है. इस दौरान अमेरिका में दोनों दलों- रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार रही है.
डोनाल्ड ट्रंप की नीतिया अमेरिका फर्स्ट की रही हैं. ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने की स्थिति में भारत की सबसे बड़ी चिंता उनके व्यापार और आव्रजन नीतियों को लेकर है. ट्रंप के पहले शासनकाल में ही अमेरिका ने भारत के तरजीही व्यापार वाले देश के दर्जे को खत्म कर दिया था.ट्रंप ने चीन के खिलाफ टैरिफ युद्ध शुरू करने की धमकी दी है. ट्रंप भारत को टैरिफ का दुरुपयोग करने वाला देश बताया है. उन्होंने भारत और चीन के अलावा कई दूसरे देशों ले आयात पर टैरिफ लगाया था. नई सरकार में भी वो अमेरिकी सामान के आयात पर अधिक कर लगाने वाले देशों पर कार्रवाई कर सकते हैं.इसकी जद में भारत भी आ सकता है.
अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने 2018 में भारत से हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल के आयात पर लगने वाले कर को कम करने की अपील की थी.उन्होंने कहा था कि वो भारत से आने वाली मोटरसाइकिलों पर कर बढ़ा देंगे. इसके बाद भारत ने आयात होने वाली मोटरसाइकिलों पर आयात शुल्क को 75 फीसदी से घटाकर 50 फीसदी कर दिया था. भारत और अमेरिका के बीच करीब 200 अरब डॉलर का कारोबार होता है.अगर ट्रंप ने अपने शासनकाल में भारतीय सामान पर कर बढ़ाया तो दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार में कमी आ सकती है.
डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध और मजबूत हो सकते हैं.ट्रंप चीन विरोधी नेता हैं.ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के मंच क्वाड को मजबूती करने में काफी रुचि दिखाई थी.ट्रंप के शासनकाल में भारत के साथ हथियारों के निर्यात,संयुक्त सैन्य अभ्यास और तकनीकी हस्तांतरण की दिशा में तालमेल नजर आ सकता है.ट्रंप में अपने पिछले कार्यकाल में भारत के साथ बड़े रक्षा समझौते किए थे.
डोनाल्ड ट्रंप का रवैया प्रवासियों को लेकर काफी सख्त रहा है.ऐसे में उनकी नीतियां प्रवासियों के लिए परेशानी पैदा करने वाली हो सकती हैं.ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेजने का वादा किया है. वो आरोप लगाते रहे हैं कि अवैध प्रवासी अमेरिकियों के लिए रोजगार के अवसर कम कर रहे हैं.अमेरिकी में बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं. अधिकांश भारतीय वहां एच-1बी वीजा पर काम करने जाते हैं. इस वीजा को लेकर ट्रंप का रवैया काफी सख्त रहा है. अगर ट्रंप ने फिर सख्ती दिखाई तो इसका असर भारतीयों पर पड़ेगा. उनके लिए काम के अवसर कम होंगे.
इस समय अमेरिका को सबसे अधिक चुनौती चीन से मिल रही है.चीन को नियंत्रित करने की दिशा में भारत अमेरिका का प्रमुख सहयोगी है. ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर यह सहयोग और मजबूत होगा. लेकिन कितना यह अभी कहा नहीं जा सकता है, क्योंकि ट्रंप के कदमों का अनुमान लगा पाना मुश्किल काम है.ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले की जमकर आलोचना करते हुए इसे अराजक स्थिति बताया था. इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी से अपने संबंधों को और मजबूत करने का वादा किया था.
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में कश्मीर समस्या के समाधान के लिए मध्यस्थता की बात कही थी. उन्होंने दावा किया था कि पीएम मोदी भी ऐसा ही चाहते हैं. लेकिन उनके इस दावे को भारत ने नकार दिया था.दरअसल भारत इस समस्या के समाधान में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को नकारता रहा है. वहीं पाकिस्तान ने ट्रंप के बयान का स्वागत किया था. अपने दूसरे राष्ट्रपति कार्यकाल में अगर ट्रंप फिर अपना पुराना रुख अपनाते हैं तो यह भारत के लिए असहज करने वाली स्थिति होगी. ट्रंप ने जम्मू कश्मीर में पुलवामा में हुए हमले की निंदा करते हुए भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया था.
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप 2017 से 2021 तक अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के रूप में काम कर चुके हैं. ट्रंप ने अपने पहले राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को हराया था.
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Reported by: NDTV इंडिया, Edited by: रितु शर्मा© Copyright NDTV Convergence Limited 2024. All rights reserved.