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भारत के गांव में कमला हैरिस की जीत के लिए प्रार्थना, बांटी जा रही मिठाई, जानें वजह

कमला हैरिस जब पांच साल की थीं, तब वह एक बार थुलसेंद्रपुरम आई थीं...
नई दिल्‍ली : 

बीच चौक में कमला हैरिस का बड़ा-सा बैनर, गिरजाघरों में जीत के लिए प्रार्थनाएं और लोगों को बांटी जा रही मिठाई... ये सीन किसी अमेरिकी शहर का नहीं, बल्कि भारत के एक गांव का है. वाशिंगटन डीसी से 14,000 किमी से अधिक दूर एक छोटे से दक्षिण भारतीय गांव थुलासेंद्रपुरम के निवासी यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस आगामी राष्ट्रपति चुनाव जीतती हैं या नहीं. अमेरिका में 5 नवंबर को राष्‍ट्रपति पद के लिए वोटिंग होने वाली है. 

थुलासेंद्रपुरम एक छोटा-सा गाँव है, जो चेन्नई से लगभग 300 किमी दूर है. इस गांव में कमला हैरिस के नाना पीवी गोपालन का जन्म हुआ था. यहां के लोगों ने बड़े गर्व के साथ गांव के बीचोंबीच कमला हैरिस का एक बड़ा बैनर लगाया है. गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, उनकी सफलता के लिए स्थानीय देवता से विशेष प्रार्थना भी की जा रही है और मिठाइयां बांटी जा रही हैं. गार्जियन के अनुसार, एक स्थानीय राजनेता एम मुरुकानंदन ने कहा, "वह जीतें या नहीं, यह हमारे लिए कोई खास मायने नहीं रखता... हमारे लिए यह मायने रखता है कि वह चुनाव लड़ रही हैं. ये ऐतिहासिक है और हमें गौरवान्वित करता है." 

कमला हैरिस अक्सर अपनी मां की भारतीय जड़ों के बारे में बात करती रही हैं. स्तन कैंसर शोधकर्ता श्यामला गोपालन का जन्म और पालन-पोषण चेन्नई (तब मद्रास कहा जाता था) में हुआ था. उन्होंने 19 साल की उम्र में छात्रवृत्ति पर अमेरिका में रिसर्च वर्क करने के लिए भारत छोड़ दिया, जहां कमला और उनकी छोटी बहन माया का जन्म हुआ.

80 वर्षीय सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधक एन कृष्णमूर्ति ने कहा, "उन्होंने इस गांव को इतना गौरव दिलाया है. किसी ने भी हमारे लिए इतना कुछ नहीं किया है, भले ही उन्होंने दशकों और सदियों तक प्रयास किया हो. यह अकल्पनीय है! हमारा गांव उनकी वजह से विश्व प्रसिद्ध है, और हम बार-बार उन्हें धन्यवाद देते हैं, उन्हें शुभकामनाएं देते हैं. एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि कमला हैरिस ने "नारीत्व को प्रसिद्धि दिलाई है- यहां की सभी महिलाएं उनकी उपलब्धियों पर बहुत गर्व करती हैं." 19 वर्षीय छात्रा मधुमिता ने कहा, "मैं उनसे प्रेरित हूं."

कमला हैरिस जब पांच साल की थीं, तब वह एक बार थुलसेंद्रपुरम आई थीं, तब उन्‍होंने दादा के साथ काफी समय बिताया था. वह आखिरी बार 2009 में अपनी मां की अस्थियां विर्सजित करने के लिए चेन्नई बीच पर लौटी थीं। लेकिन उपराष्ट्रपति बनने के बाद से वह वापस नहीं आई हैं। लेकिन उनकी उपस्थिति गांव में दुकानों और घरों में लगे पोस्टरों से दर्ज की जा रही है। स्काई न्यूज के अनुसार, एक मंदिर के पास प्रमुखता से लगाए गए एक बड़े बैनर में उन्हें "गांव की महान बेटी" भी कहा गया है। 

थुलासेंद्रपुरम में कमला हैरिस के परिवार का कोई भी रिश्तेदार नहीं बचा है. यहां उनका सिर्फ एक पैतृक घर है. वह भी जमीन का एक खाली भूखंड है. हालांकि, कमला हैरिस के परिवार का नाम गाँव के 300 साल पुराने मुख्य मंदिर में एक पत्थर की पट्टिका पर उकेरा गया है, जिसमें 2014 में एक रिश्तेदार द्वारा उनके नाम पर 5,000 रुपये ($ 60) का दान दिया गया है.

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