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EXPLAINER: क्‍या है सुपर ट्यूज़डे, अमेरिका के चुनावी कैलेंडर में क्‍यों है सबसे खास दिन

Super Tuesday पर कौन मार सकता है बाजी...
नई दिल्‍ली : 

अमेरिका को इस साल नया राष्‍ट्रपति मिलेगा... 5 नवंबर को राष्‍ट्रपति पद के लिए चुनाव होगा. राष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवार की रेस में जो बाइडेन और डोनाल्‍ड ट्रंप प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. इस पर आज यानि  'सुपर ट्यूजडे' (Super Tuesday) को मुहर लग जाएगी. सुपर ट्यूजडे अमेरिका के चुनावी साल का सबसे अहम दिन होता है. यह राष्ट्रपति चुनाव में शामिल उम्मीदवारों के लिए एक तरह से निर्णायक दिन माना जाता है. दरअसल, इसी दिन राजनीतिक दल के लिए उनका उम्मीदवार तय करते फाइनल करने का काम करता है.   

क्‍यों खास है सुपर ट्यूजडे 

अमेरिका के चुनावी कैलेंडर में सुपर ट्यूजडे का दिन इसलिए भी बेहद खास है, क्‍योंकि पिछले 36 सालों में जिस भी शख्‍स ने 'सुपर ट्यूजडे' में बाजी मारी है, वहीं राष्ट्रपति की दौड़ के लिए रिपब्लिकन पार्टी का प्रत्याशी चुना गया हैं. दरअसल, सुपर मंगलवार वह दिन है, जब सबसे बड़ी संख्या में मतदाता राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के लिए मतदान करते हैं. इनमें से छह राज्‍यों के मतदाता अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं. रिपब्लिकन हो या डेमोक्रेट्स इन राज्‍यों के वोटर्स किसी खास पार्टी के समर्थक नहीं रहे हैं. ऐसे में इनके वोट काफी मायने रखते हैं. ये राज्य हैं, अलबामा, अर्कांसस, मिनेसोटा, टेक्सास, वर्मोंट और वर्जीनिया, जिनमें ओपन प्राइमरी का चलन है.

Super Tuesday पर कौन मार सकता है बाजी

अमेरिका चुनाव के जानकारों का अनुमान है कि सुपर ट्यूजडे में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को बड़ी संख्या में डेलिगेट (मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले पार्टी सदस्य) का समर्थन मिलने की संभावना है. सुपर ट्यूजडे अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के चयन के लिए प्राइमरी चुनाव प्रक्रिया का वह दिन होता है, जब सबसे अधिक राज्यों में प्राइमरी और कॉकस चुनाव होते हैं. ट्रंप को अब तक 244 डेलिगेट का समर्थन मिल चुका है. राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनने के लिए किसी भी दावेदार को कम से कम 1,215 डेलिगेट के समर्थन की आवश्यकता होगी. 

बता दें कि राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अपनी-अपनी पार्टी के उम्मीदवार बनने के दावेदार- बॉबी जिंदल  (2016 में), कमला हैरिस (2020 में)  और विवेक रामास्वामी (2024 में) एक भी प्राइमरी चुनाव नहीं जीत पाए थे.

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