ईरान (Iran) की एक बुजुर्ग महिला ने कोरोना वायरस (CoronaVirus) को मात दे दी है. कहा जाता है कि कोरोना वायरस बुजुर्ग लोगों के लिए अधिक घातक होता है और इस वायरस से मरने वालों में सबसे ज्यादा उम्रदराज लोग ही हैं. लेकिन 103 वर्षीय महिला कोरोना वायरस को मात देकर वापिस अपने घर लौट चुकी हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, ईरान की राजधानी तहरान से 180 किलोमीटर दूर सेमनान के अस्पताल में उनको भर्ती कराया गया था. महिला का नाम जाहिर नहीं किया गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, सेमनान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंस के हेड नविद दयानी ने कहा, ''महिला पूरी तरह से स्वस्थ है और उनकों डिस्चार्ज कर दिया गया है.'' बता दें, ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले देश के दक्षिण-पूर्वी इलाके केरमान में एक 91 वर्षीय वृद्ध भी इलाज के बाद ठीक हुए थे.
103 वर्षीय महिला को हाई ब्लड प्रेशर और अस्थमा भी था, तीन दिन तक तबीयत खराब होने के बाद वो सोमवार को पूरी तरह ठीक हो गईं. रिपोर्ट्स में नहीं बताया गया कि इन दोनों महिलाओं का कैसे इलाज किया गया.
ईरान में कोरोना वायरस से सबसे पहली मौत 19 फरवरी को रिपोर्ट की गई थी. इस बीमारी के कारण दुनिया भर में 7,500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि करीब दो लाख लोग इससे संक्रमित हैं.
भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गुरुवार सुबह तक जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारत के 18 राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में कुल मिलाकर कोरोनावायरस के 169 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से 144 भारतीय नागरिक हैं, जबकि 25 विदेशी नागरिक हैं.
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Reported by: भाषा, Written by: मोहित चतुर्वेदीकोविड-19 रोधी वैक्सीन 'कोविशील्ड' बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने खुद स्वीकार कर लिया है कि इसे लेने वाले लोगों में रेयर साइड इफेक्ट हो सकते हैं. द टेलीग्राफ (यूके) ने बताया कि ब्रिटिश फार्मा दिग्गज एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उसकी कोविड वैक्सीन के रेयर साइड इफेक्ट हो सकते हैं.
कोरोना महामारी के दौरान एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोविशील्ड का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया गया था और देश में व्यापक रूप से इसे लोगों को दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (आईएमए) की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रामदेव पर कोविड रोधी टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ मुहिम चलाने का आरोप लगाया गया.
सन 2020 की गर्मियों में जब पूरी दुनिया कोरोनो वायरस महामारी के कारण ठहर गई थी. तब भारतीय मूल की डॉक्टर कुलविंदर कौर गिल ने सरकार की ओर से लगाए गए लॉकडाउन और टीकाकरण के आदेश के खिलाफ बात की थी. लेकिन उनके इस रुख के चलते उन्हें चिकित्सा संस्थानों की ओर से मुकदमों और एक्स (ट्विटर) के पिछले प्रबंधन द्वारा सेंसरशिप का सामना करना पड़ा.
पहले, एक दिन में COVID-19 के 750 मामले रिपोर्ट हो रहे थे, जो अब 200 के नीचे पहुंच गए हैं. वहीं एक्टिव मामले जो 4500 के करीब जा पहुंचे थे, अब 2800 के आसपास ही हैं.
WHO ने कहा कि सबसे ज्यादा चिंता कोरोना (Coronavirus JN.1) के नए JN.1 वेरिएंट ने बढ़ा दी है. दुनियाभर में इसी वेरिएंट की मौजूदगी सबसे ज़्यादा पाई गई. वहीं संक्रमण की वजह से अस्पताल में भर्ती होनो वालों की तादाद भी 42 % बढ़ गई.