कोरोनावायरस (Coronavirus) के लगातार बढ़ते मामले डराते ज़रूर हैं, लेकिन जो लोग कोरोना की जंग जीत चुके हैं उनसे हौसला और उम्मीद मिलती है. अब तक कुल 37 लोगों ने कोरोना को हराया है. इनका विदेश का कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं रहा पर जिनके कांटेक्ट में आये वो विदेश गए थे. कोरोना को मात देने वाले ऐसे ही, एक शख्स से बात की हमारे संवाददाता परिमल कुमार ने. कोरोना वायरस के बाद से ठीक होने के बाद उनके बारे में जानने पर पता चला कि वह आगरा के हैं. इनकी फैमिली इटली गई थी. उन्हीं से ट्रांसमिट होकर इनमें वायरस आया. 7 मार्च को पता चला. 8 मार्च को सफदरजंग में एडमिट हुए. 19 मार्च को डिस्चार्ज कर दिया गया.
उन्होंने बताया कि डर लगा जब पता चला कि रिपोर्ट पॉजिटिव आया, लेकिन डरने की ज़रूरत नहीं है. ऊपर भगवान हैं और नीचे डॉक्टर, नर्स और हाउसकीपिंग स्टाफ के तौर पर उनके दूत हैं. आइसोलेशन बस एकांतवास है और कुछ नहीं. जैसे आप घर पर रहते हैं ठीक वैसे ही रहना है. बस आपको किसी से मिलना नहीं है. फ़ोन से परिवार से बात कर सकते थे और करते थे.
कोरोना के चपेट में आने के बाद ठीक होने के बाद उन्होंने यह भी कहा कि डरने और घबराने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है. कोरोना पॉजिटिव आता है तो संयम रखें जो डॉक्टर कहें वो करें. टेस्ट भी कुछ ऐसा नहीं की डर ज्यादा लगे. अभी घर पर भी उतने दिन ही क्वारंटाइन रहने के लिए कहा है.
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Reported by: भाषालॉकडाउन में हुआ जुड़वां बच्चों का जन्म, माता-पिता ने बेटे का नाम रखा COVID, बेटी का Corona
Reported by: भाषा, Written by: मोहित चतुर्वेदीकोविड-19 रोधी वैक्सीन 'कोविशील्ड' बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने खुद स्वीकार कर लिया है कि इसे लेने वाले लोगों में रेयर साइड इफेक्ट हो सकते हैं. द टेलीग्राफ (यूके) ने बताया कि ब्रिटिश फार्मा दिग्गज एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उसकी कोविड वैक्सीन के रेयर साइड इफेक्ट हो सकते हैं.
कोरोना महामारी के दौरान एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोविशील्ड का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया गया था और देश में व्यापक रूप से इसे लोगों को दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (आईएमए) की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रामदेव पर कोविड रोधी टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ मुहिम चलाने का आरोप लगाया गया.
सन 2020 की गर्मियों में जब पूरी दुनिया कोरोनो वायरस महामारी के कारण ठहर गई थी. तब भारतीय मूल की डॉक्टर कुलविंदर कौर गिल ने सरकार की ओर से लगाए गए लॉकडाउन और टीकाकरण के आदेश के खिलाफ बात की थी. लेकिन उनके इस रुख के चलते उन्हें चिकित्सा संस्थानों की ओर से मुकदमों और एक्स (ट्विटर) के पिछले प्रबंधन द्वारा सेंसरशिप का सामना करना पड़ा.
पहले, एक दिन में COVID-19 के 750 मामले रिपोर्ट हो रहे थे, जो अब 200 के नीचे पहुंच गए हैं. वहीं एक्टिव मामले जो 4500 के करीब जा पहुंचे थे, अब 2800 के आसपास ही हैं.
WHO ने कहा कि सबसे ज्यादा चिंता कोरोना (Coronavirus JN.1) के नए JN.1 वेरिएंट ने बढ़ा दी है. दुनियाभर में इसी वेरिएंट की मौजूदगी सबसे ज़्यादा पाई गई. वहीं संक्रमण की वजह से अस्पताल में भर्ती होनो वालों की तादाद भी 42 % बढ़ गई.