वाराणसी के पीएफ दफ्तर में इन दिनों कोविड काल में नौकरी जाने, वेतन न मिलने, वेतन देरी से मिलने की वजह से लोग अपने पैसे पीएफ से निकालने के लिए आ रहे हैं. इनकी संख्या आम दिनों से लगभग 50 फ़ीसदी ज्यादा हो गई है. वाराणसी के पीएफ दफ्तर के बगल में जन सेवा केंद्र में मेरी मुलाकात चुन्नी देवी से हुई. चुन्नी देवी वाराणसी के चौसठी घाट के पास ठेकेदार के अंडर में सफाई का काम करती हैं. कोविड काल में उन्हें तनख्वाह कम मिली लिहाजा आमदनी कम हुई. अब अपना पीएफ निकालने आई हैं, क्योंकि बेटी की शादी करनी है. आमदनी का दूसरा कोई जरिया नहीं है तो पीएफ के पैसे का ही भरोसा है.
चुन्नी देवी ने कहा कि ''पीएफ निकालने आए हैं. लड़की की शादी करना है ना इसीलिए आए हैं. नौकरी चल रही है, निकालेंगे तभी ना लड़की की शादी करेंगे. लॉकडाउन भी लगा है. लड़की की शादी करनी है. कैसे करें, लॉकडाउन में पैसा नहीं मिला.''
चुन्नी देवी जिस जन सेवा केंद्र में बैठी थीं उसको चलाने वाले संचालक से बात हुई तो पता चला कि इस पीएफ दफ्तर के लिए उसी बिल्डिंग में उनके चार जन सेवा केंद्र चलते हैं जिनसे वह लोगों के पीएफ की समस्याओं का समाधान करते हैं. विकास शुक्ला बताते हैं कि इस समय आम दिनों से 50% ज्यादा लोग अपने पीएफ का पैसा निकालने के लिए आ रहे हैं. विकास शुक्ला ने कहा कि ''यहां पर हमारे पास बहुत दूर-दूर से लोग आते हैं जैसे मध्यप्रदेश का सिंगरौली, गाजीपुर... मतलब अलग-अलग इलाकों से इस समय बहुत ज्यादा, मतलब लॉकडाउन से पहले की अपेक्षा 80% से ज्यादा लोग आ रहे हैं. पैसा निकालने लोग यही कह रहे हैं कि नौकरी चली गई है, शादी है, घर चलाना है, इसलिए आते हैं.''
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पीएफ दफ्तर के नीचे गार्ड के पास ऑनलाइन बातचीत करने की सुविधा है. लोग अपनी समस्या लेकर यहां आते हैं और ऑनलाइन बातचीत के जरिए उनकी समस्याओं का समाधान किया जाता है. मार्च में 1230 लोगों ने, अप्रैल में 809 ने, मई में 504 ने, जून में 842 ने, जुलाई में 1272 ने और अगस्त में 911 लोगों ने अपनी नौकरी जाने पर अपने पीएफ के पैसे का विड्रॉल किया. इसी तरह कोविड क्लेम में 9681 लोगों ने अट्ठारह करोड़ 64 लाख 82 हजार पचास रुपये का एडवांस लिया.
पीएफ कमिश्नर उपेंद्र प्रताप सिंह इस निकासी के बारे में बताते हैं कि ''कोई फिक्स फिगर नहीं है कि कौन कितना आएगा. लॉकडाउन के पहले भी और लॉकडाउन के बाद भी यह वेरी करता है. पीएफ का जो फार्म आता है हमारे पास एक तो जिसकी नौकरी चली गई है और नौकरी चले जाने के 2 महीने बाद तक वह अनइंप्लॉयड हो. ऐसा नहीं कि आज नौकरी चली गई और कल वह पीएफ का पैसा निकालने आ जाए. दो महीने का वेटिंग पीरियड है. उसके बाद वह पैसा निकाल सकता है. दूसरा नौकरी करने के दरमियान अगर उन्हें पैसे की जरूरत है तो एडवांस की व्यवस्था है. वह 3 कामों के लिए है हायर स्टडी के लिए, मकान बनाने के लिए और शादी करने के लिए है. अगर उसे इन 3 कामों की जरूरत है तो उसके साथ की स्कूटनी करके उसे पैसा मिल जाता है. तीसरा पेंशन का है, जो रिटायरमेंट की बात होती है. दो महीने का जो वेटिंग पीरियड है, नौकरी जाने के बाद वह बहुत इंपॉर्टेंट है.''
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कोविड काल में भारत सरकार ने एक विशेष अभियान चलाया और वार फूटिंग पर एक ऐप बनाया जिसमें कोविड क्लेम को अन्य क्लेम से अलग कर दिया गया. कोविड क्लेम उसे कहा जाता है जिसको नौकरी के दरमियान एडवांस की जरूरत है. उनको पैसे की दिक्कत हुई है. किसी की सैलरी कम हो गई है, कोई घर बैठा है ऑफिस नहीं जा पा रहा है. उसमें कई जगह काम करने पर टाइम से सैलरी नहीं मिल पा रही है तो एडवांस के लिए अप्लाई कर सकता है.
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