अमेरिकी रेटिंग एजेंसी फिच का अनुमान है कि भारत में अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनावों में मौजूदा सत्ता के ही दोबारा जीतकर आने की ‘काफी हद तक संभावना' है. फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को बयान में आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर अपना आकलन पेश करते हुए कहा कि मौजूदा प्रशासन के दोबारा लौटकर आने की अधिक संभावना होने से भारत में नीतियों को लेकर निरंतरता बने रहने की उम्मीद है.
हालांकि, अगली सरकार को चुनाव में मिलने वाले बहुमत का आकार ही यह तय करेगा कि सरकार अपने सुधारों के एजेंडा पर कितने महत्वाकांक्षी ढंग से आगे बढ़ पाती है. रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘हमारी काफी हद तक यह राय है कि भारत और बांग्लादेश में मौजूदा सरकार के पास ही सत्ता बनी रहेगी. भारत में अगले साल अप्रैल-मई और बांग्लादेश में जनवरी में आम चुनाव होने वाले हैं. ऐसा होने पर व्यापक नीतिगत निरंतरता बने रहने का संकेत मिलता है.''
फिच ने भारत को 'बीबीबी-' रेटिंग के साथ स्थिर परिदृश्य दिया हुआ है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार का इस समय दूसरा कार्यकाल चल रहा है. यह सरकार पहली बार वर्ष 2014 में चुनकर आई थी और वर्ष 2019 में इसने अपनी सत्ता बरकरार रखी थी.
अगर मोदी सरकार फिर से चुनाव जीतने में सफल रहती है तो यह इसका लगातार तीसरा कार्यकाल होगा.
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि एशियाई क्षेत्र के रेटिंग पोर्टफोलियो में शामिल करीब आधे देशों में वर्ष 2024 में संसद या राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाले हैं. इन चुनावों में निरंतरता का मुद्दा प्रमुखता से छाए रहने की उम्मीद है.
हालांकि, पाकिस्तान एवं श्रीलंका में चुनावी नतीजों का इन देशों के क्रेडिट प्रोफाइल पर असर पड़ने की आशंका भी है. इसकी वजह यह है कि ये दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से मिले राहत पैकेज कार्यक्रम पर काफी हद तक निर्भर हैं.
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अमेरिका में वोट देने के तरीके को बदलने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप, भारत का उदाहरण देकर बताया क्या जरूरी
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Edited by: श्वेता गुप्ताUSAID Funding Case: अमेरिका का भारत के चुनाव में दखल? USAID फंडिंग को लेकर ट्रंप के बयान के बाद मचे घमासान की पूरी कहानी
Written by: प्रभांशु रंजनडोनाल्ड ट्रंप ने कार्यकारी आदेश पर साइन करके अमेरिका के फेडरल चुनावों में वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए नागरिकता का डॉक्यूमेंट प्रूव देना अनिवार्य कर दिया है.
चुनाव के जल्द ऐलान से पता चलता है कि कार्नी अपनी लिबरल पार्टी के लिए वोटिंग में हुई वृद्धि का लाभ उठाना चाहते हैं. जिसकी वजह मुख्य रूप से अमेरिकी टैरिफ और ट्रंप के बार-बार दिए गए बयानों को भी माना जा रहा है.
USAID Funding Case: अमेरिकी संस्था यूएसएड की 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग पर ट्रंप के बयान से भारत में सियासी घमासान मचा है. भाजपा-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. USAID फंडिंग का पूरा मामला क्या है, जानिए इस रिपोर्ट में.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी दक्षता विभाग के उस फैसले का बचाव किया है, जिसमें USAID के जरिए भारत को दी जाने वाली 1 अरब 80 करोड़ रुपये की मदद रोक दी गई है. यह मदद भारत में मतदान बढ़ाने के लिए दी जा रही थी.ट्रंप का कहना है कि भारत के पास बहुत पैसा है.
अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि वह डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव हरा सकते थे, लेकिन पार्टी के कहने पर उन्हें पीछे हटना पड़ा.
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि भारत में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. यह एक तरह से दुनिया के सबसे रईस व्यक्ति एलन मस्क को जवाब माना जा रहा था, जिन्होंने लेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की सुरक्षा पर सवाल उठाए थे.
अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक एच 1 बी वीजा पर भिड़े हुए है. इसकी शुरूआत श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति के बाद हुई. ट्रंप के कुछ समर्थक इस पर आपत्ति जताने लगे. लेकिन अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने इसका समर्थन करते हुए एच 1 बी वीजा में सुधार की बात कही है.
अमेरिकी न्याय विभाग में अटार्नी ब्रायन पीस ने कहा है कि वो 10 जनवरी को इस्तीफा दें देंगे. पीस को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नियुक्त किया था. वो चुने गए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के 20 जनवरी को शपथ लेने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की मदद के लिए कम से कम 270 मिलियन डॉलर खर्च किए थे. जिसके साथ ही वो रिपब्लिकन के शीर्ष दाता बन गए हैं.
डोनाल्ड ट्रंप कथित तौर पर एक कार्यकारी आदेश की योजना बना रहे हैं, जिसके तहत अमेरिकी सेना से सभी ट्रांसजेंडर सदस्यों को हटा दिया जाएगा.