
डोनाल्ड ट्रंप ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम को कभी स्वीकार नहीं किया. इस बार के चुनाव में वो एक बार फिर रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार हैं. ट्रंप ने सितंबर में मिशिगन में आयोजित एक रैली में एक बार फिर कुछ ऐसी ही बात कही. उन्होंने कहा कि अगर वो चुनाव हार गए तो वे परिणाम को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. उनके खिलाफ डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस चुनाव मैदान में हैं. ट्रंप ने कहा था, ''मैं आपसे कह दे रहा हूं, यह संभव है, क्योंकि वो बेईमानी करेंगे. वहीं एक रास्ता है, जिससे हम हार सकते हैं.''
वहीं इस हफ्ते की शुरुआत में डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस ने ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा था,"यह वह व्यक्ति है जो अस्थिर है, बदले की भावना से ग्रस्त है, शिकायतों से ग्रस्त है और अनियंत्रित सत्ता चाहता है." उन्होंने यह बात मंगलवार को वाशिंगटन के एलिप्से पार्क में आयोजित एक रैली में कही थी.

डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस भी कह चुकी है कि डोनाल्ड ट्रंप असिमित सत्ता चाहते हैं.
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डोनाल्ड ट्रंप 2020 का राष्ट्रपति चुनाव हार गए थे.उन्होंने 6 जनवरी, 2021 को वाशिंगटन के एलिप्से पार्क में आयोजित एक रैली में अपने समर्थकों से इसके खिलाफ लड़ने की अपील की थी.इसके बाद उनके समर्थकों ने कैपिटल हिल बिल्डिंग पर धावा बोल दिया था.उनके समर्थकों ने उस इमारत में जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की थी. कुछ विश्लेषक इस ट्रंप समर्थकों का तख्ता पलट का प्रयास बताते हैं.
अब जैसे-जैसे पांच नवंबर की तारीख नजदीक आती जा रही है, लोगों को यह आशंका सता रही है कि क्या हारने की स्थिति में ट्रंप चुनाव परिणामों को चुनौती देंगे. इस बार अंतर केवल इतना भर है कि वो 2020 की तरह इर बार राष्ट्रपति नहीं हैं. इसके साथ ही कैपिटल हिल में जनवरी 2020 में हुई घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए अमेरिका में कई तरह के कानूनी प्रावधान भी किए गए हैं.
अखबार 'गार्डियन' की एक खबर के मुताबिक ट्रंप खेमा पांच नवंबर के बाद परिणामों पर विवाद बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. रिपब्लिकन पार्टी के पदाधिकारियों की ओर से मिले समर्थन के बाद यह अभियान व्यापक और कानूनी रणनीति वाला लग रहा है. उपराष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार जेडी वेंस ने कहा है कि उन्होंने 2020 के चुनाव को प्रमाणित नहीं किया होगा.हाल में हुई बहसों में वेंस यह कहने से परहेज करते हुए नजर आए हैं कि डोनाल्ड ट्रंप 2020 का चुनाव हार गए थे.

साल 2020 में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के बाद डोनाल्ड ट्रंप पर अपने समर्थकों को भड़काने का आरोप लगा था.
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न्यूज एजेंसी 'रॉयटर्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक,हारने की स्थिति में ट्रंप हैरिस की जीत को अदालत में चुनौती दे सकते हैं. इसके अलावा वो अपने समर्थकों में हैरिस की जीत की वैधता को लेकर संदेह पैदा कर सकते हैं. इसके परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं.
चुनाव परिणाम में देरी का कैसे फायदा उठा सकते हैं ट्रंप
कुछ विश्लेषकों ने इस बार परिणाम आने में देरी होने की आशंका जताई है. 'रॉयटर्स' का कहना है कि अगर ऐसा लगता है कि ट्रंप चुनाव हार रहे हैं तो इस देरी से उन्हें धोखाधड़ी का आरोप लगाने और चुनाव अधिकारियों में विश्वास कम करने का प्रयास करने का एक मौका मिल जाएगा. यह उनके समर्थकों को चुनाव परिणाम का विरोध करने के लिए प्रेरित करेगा.हालांकि नतीजों में देरी में असामान्य नहीं है.लेकिन इसके जरिए ट्रंप यह साबित करने की तैयारी कर रहे हैं कि उनके खिलाफ वोट में धांधली हुई है और धीमी गिनती इस बात का सबूत है कि कुछ गड़बड़ है.
चुनाव परिणाम को चुनौती देने की जमीन तैयार करने के लिए रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने कई स्विंह स्टेट में 100 से अधिक मुकदमे दायर कर रखे हैं.इनमें ऐसे लोगों की ओर से मतदान करने के निराधार दावें हैं जो अमेरिकी नागरिक नहीं हैं. अमेरिकी अखबार 'वाशिंगटन पोस्ट' की एक खबर के मुताबिक दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने इस तरह के लोगों की ओर से मतदान करने के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक अभियान चला रखा है. इसे लाखों लोगों का समर्थन मिला है. मस्क इस चुनाव में खुलेआम डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं.
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