मंत्री नंदी ने पूर्वोत्तर के संतों की महाकुंभ में व्यापक भागीदारी की सराहना की. महामंडलेश्वर स्वामी केशव दास जी महाराज ने बताया कि पहली बार इतनी बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर के सत्र कुंभ मेले में हिस्सा ले रहे हैं.
इस योग में किया गया कोई भी मांगलिक कार्य निर्विघ्न होंगे. इस दौरान दान-पुण्य करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी.
मेला क्षेत्र में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं. इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से चप्पे-चप्पे की निगरानी की जा रही है. डीआईजी और एसएसपी खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं. भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है.
“मैं यहां पहली बार आई हूं. कई भारतीय मेरे मित्र हैं. मुझे भारतीय संस्कृति पसंद है. मुझे लगता है कि पिछले जन्म में मैं भारतीय थी. भारत का संगीत, भजन, कीर्तन, सब कुछ मुझे काफी पसंद है. महाकुंभ मेले की व्यवस्थाएं काफी अच्छी हैं.”
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा, “मुलायम सिंह की प्रतिमा हमें यह दिखाने के लिए लगाई गई है कि उन्होंने हमें मार रखा है, हमें लहूलुहान कर रखा है.”
संतों का मानना यह महाकुंभ इस राष्ट्र, भक्तों और तीर्थयात्रियों को अन्य कुम्भ की तुलना में अधिक शक्ति प्रदान करने जा रहा है.
Kumbh snan significance : ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में नागा साधु धर्म, संस्कृति की रक्षा के लिए सेना के रूप में काम करते थे. यही कारण है कि कुंभ में स्नान करने का पहला अधिकार नागा साधुओं को दिया गया है.
अपनी पोस्ट में सीएम योगी आदित्यनाथ ने लिखा, "पौष पूर्णिमा की बधाई. विश्व के विशालतम आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक समागम 'महाकुम्भ' का आज से तीर्थराज प्रयागराज में शुभारंभ हो रहा है.
महाकुंभ 2025 के पहले दिन आज करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगा सकते हैं. प्रशासन ने तमाम तरीके के इंतजाम किए हैं ताकि किसी भी श्रद्धालु को प्रयागराज में कोई दिक्कत ना हो.
Mahakumbh 2025 : महाकुंभ इस बार न केवल भारतीय श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि विदेशी पर्यटकों और भक्तों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण बन गया है. विभिन्न देशों से आए श्रद्धालु भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और गंगा के महत्व को समझने और अनुभव करने के लिए उमड़ पड़े हैं.
प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का पहला शाही स्नान आज होगा. पौष पूर्णिमा के अवसर पर होने वाले इस शाही स्नान के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं.
इस बार महाकुंभ में 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. महाकुंभ के दौरान श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर एकत्रित होंगे.13 जनवरी से शुरू होकर, महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को होगा. कल महाकुंभ में पहला शाही स्नान है.
दुनिया की सबसे अमीर महिलाओं में से एक लॉरेन दूसरी बार भारत आई हैं. इस बार वो सनातन धर्म की गहरी समझ के लिए महाकुंभ के दौरान निरंजनी अखाड़े के शिविर क्षेत्र में कल्पवास भी कर सकती हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सिर्फ प्रमुख स्नान पर्वों पर ही नहीं, बल्कि पूरे महाकुंभ के दौरान सभी जिलों से प्रयागराज के लिए बसें संचालित की जाएं.
महाकुंभ में पहुंचने वाले कल्पवाशी संगम तट पर अगले एक महीने तक रहेंगे. बताया जा रहा है कि कुछ श्रद्धालु मकर संक्रांति से भी कल्पवास की शुरुआत करेंगे. आपको बता दें कि वेदों में कल्पवास को मनुष्य के लिए आध्यात्मिक विकास का जरिया माना जाता है.