Ayodhya Ram Mandir: 88 साल की उर्मिला चतुर्वेदी ने 6 दिसंबर, 1992 के दिन से व्रत लिया था कि वो सामान्य भोजन नहीं करेंगी, बल्कि फलाहार करके तबतक जीवन बिताएंगी, जबतक अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन जाता.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने अयोध्या (Ayodhya) में आज राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन (Ram Mandir Bhumi Pujan) किया और मंदिर की आधारशिला रखी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछले साल दशकों पुराने मुद्दे का समाधान करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग रास्ता साफ किया था. आज मंदिर निर्माण की नींव रखे जाने के साथ ही राम मंदिर के लिए चलाया गया भाजपा का आंदोलन फलीभूत हो गया, जिसने भगवा दल को सत्ता के शिखर तक पहुंचा दिया. भूमि पूजन समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) भी मौजूद थे.
Ayodhya Ram Mandir Bhoomi Pujan: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण (Ram Temple) के लिए आज होने वाले भूमि पूजन की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) दोपहर 12 बजकर 44 मिनट और 15 सेकंड पर मंदिर की आधारशिला रखेंगे.
पिछले करीब 27 बरस से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर मानवता की सेवा करने वाले अयोध्या के मकबूल बाशिंदे पद्मश्री मोहम्मद शरीफ उर्फ शरीफ चाचा को भी बुधवार को होने वाले राम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम में शिरकत का न्योता मिला है. शरीफ के बेटे मोहम्मद सगीर ने मंगलवार को 'भाषा' को बताया कि करीब 82 वर्षीय उनके पिता को श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से भेजा गया निमंत्रण मंगलवार को दोपहर में मिला है. हालांकि उन्होंने यह कहा कि उनके पिता को पिछले कुछ समय से गुर्दों की बीमारी के कारण काफी परेशानी हो रही है और वह ठीक से चल भी नहीं पा रहे, लिहाजा वह कार्यक्रम में शरीक हो पाएंगे, इसमें संदेह है.
अयोध्या से 650 किलोमीटर दूर नोएडा में रावण के मंदिर के पुजारी को भी राम नगरी में भव्य मंदिर के शिलान्यास की घड़ी का बेसब्री से इंतजार है. गौतम बुद्ध नगर के बिसरख इलाके में रावण का मंदिर स्थित है. उसके पुजारी महंत रामदास का कहना है कि पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन का उन्हें बेसब्री से इंतजार है और यह रस्म संपन्न होने के बाद वह लोगों में मिठाई बाटेंगे. महंत रामदास ने ''पीटीआई-भाषा'' से टेलीफोन पर बातचीत में कहा' अगर रावण ना होता, तो कोई भी श्री राम को नहीं जानता और अगर राम नहीं होते तो दुनिया को रावण के बारे में नहीं पता चलता'. उन्होंने कहा कि वह अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर बेहद प्रसन्न हैं. शिलान्यास के बाद वह लोगों में लड्डू बांट कर खुशी मनाएंगे. मंदिर का शिलान्यास एक बहुत शुभ घटनाक्रम है. वहां भव्य राम मंदिर का निर्माण होने पर उन्हें बहुत खुशी होगी.
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए हो रहे भूमि पूजन के पहले राम मंदिर ट्रस्ट ने मंदिर की प्रस्तावित तस्वीरें जारी की हैं. बनने के बाद अयोध्या का राम मंदिर कुछ ऐसा ही दिखेगा.
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पहले बुधवार को हो रहे भूमि पूजन के लिए तैयारियां लगभग पूरी हैं. पूरी व्यवस्था चाक-चौबंद है और आधिकारियों को भी दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं. यहां मंदिर परिसर में तैनात पुलिसकर्मियों को खास निर्देश दिए गए हैं कि वो नेताओं के साथ सेल्फी न लें. वहीं परिसर से बंदरों और गायों को दूर रखने के लिए उन्हें कहीं और फल और चना खिलाने का निर्देश दिया गया है.
अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण से पहले बुधवार को यहां भूमि पूजन का बड़ा कार्यक्रम हो रहा है, जहां मंदिर का शिलान्यास होना है. इसके लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या आ रहे हैं. पीएम ही मंदिर के मंदिर के निर्माण के लिए नींव की ईंट रखेंगे. जानकारी है कि इस दौरान पीएम कुल तीन घंटे अयोध्या में बिताएंगे.
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर भव्य तैयारियां चल रही हैं. 5 अगस्त यानी बुधवार को पीएम मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लेंगे. अयोध्या में इस कार्यक्रम को लेकर भव्य तैयारियां हो रही हैं. लोगों का कहना है कि सदियों बाद अयोध्या को इस तरह सजाया गया है. लंबे विवाद और सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद मंदिर के पक्षकारों को आज यह दिन देखने को मिल रहा है. लेकिन मंदिर आंदोलन के कई प्रमुख नेता जिन्होंने इस दिन को देखने के लिए पूरा जीवन खपा दिया वे आज इस दुनिया में नही हैं. इनमें प्रमुख अशोक सिंघल, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे रामचंद्र परमहंस और गोरखनाथ मन्दिर के भूतपूर्व पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ हैं. इन सबने मंदिर आंदोलन को लेकर एक लंबी लड़ाई लड़ी है और साथ में कई आरोप भी झेले हैं.
1980 में उन्हें विहिप में जिम्मेदारी देते हुए इसका संयुक्त महासचिव बनाया गया. 1984 में ही उन्होंने दिल्ली के विज्ञान भवन में 7 और 8 अप्रैल को एक धर्म संसद का आयोजन किया था. जिसमें देश भर से लगभग 50 हजार कारसेवक ने हिस्सा लिया था. इसी धर्म संसद में राम जन्मभूमि आंदोलन की रणनीति तय की गई थी. विश्व हिंदू परिषद में आने के बाद उन्होंने धर्म जागरण, सेवा, संस्कृत, परावर्तन, गोरक्षा जैसे कई मोर्चों पर काम करने की शुरुआत की और VHP के संगठन को गांव-गांव तक पहुंचा दिया.