अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पहले बुधवार को हो रहे भूमि पूजन के लिए तैयारियां लगभग पूरी हैं. पूरी व्यवस्था चाक-चौबंद है और आधिकारियों को भी दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं. यहां मंदिर परिसर में तैनात पुलिसकर्मियों को खास निर्देश दिए गए हैं कि वो नेताओं के साथ सेल्फी न लें. वहीं परिसर से बंदरों और गायों को दूर रखने के लिए उन्हें कहीं और फल और चना खिलाने का निर्देश दिया गया है.
अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण से पहले बुधवार को यहां भूमि पूजन का बड़ा कार्यक्रम हो रहा है, जहां मंदिर का शिलान्यास होना है. इसके लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या आ रहे हैं. पीएम ही मंदिर के मंदिर के निर्माण के लिए नींव की ईंट रखेंगे. जानकारी है कि इस दौरान पीएम कुल तीन घंटे अयोध्या में बिताएंगे.
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर भव्य तैयारियां चल रही हैं. 5 अगस्त यानी बुधवार को पीएम मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लेंगे. अयोध्या में इस कार्यक्रम को लेकर भव्य तैयारियां हो रही हैं. लोगों का कहना है कि सदियों बाद अयोध्या को इस तरह सजाया गया है. लंबे विवाद और सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद मंदिर के पक्षकारों को आज यह दिन देखने को मिल रहा है. लेकिन मंदिर आंदोलन के कई प्रमुख नेता जिन्होंने इस दिन को देखने के लिए पूरा जीवन खपा दिया वे आज इस दुनिया में नही हैं. इनमें प्रमुख अशोक सिंघल, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे रामचंद्र परमहंस और गोरखनाथ मन्दिर के भूतपूर्व पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ हैं. इन सबने मंदिर आंदोलन को लेकर एक लंबी लड़ाई लड़ी है और साथ में कई आरोप भी झेले हैं.
1980 में उन्हें विहिप में जिम्मेदारी देते हुए इसका संयुक्त महासचिव बनाया गया. 1984 में ही उन्होंने दिल्ली के विज्ञान भवन में 7 और 8 अप्रैल को एक धर्म संसद का आयोजन किया था. जिसमें देश भर से लगभग 50 हजार कारसेवक ने हिस्सा लिया था. इसी धर्म संसद में राम जन्मभूमि आंदोलन की रणनीति तय की गई थी. विश्व हिंदू परिषद में आने के बाद उन्होंने धर्म जागरण, सेवा, संस्कृत, परावर्तन, गोरक्षा जैसे कई मोर्चों पर काम करने की शुरुआत की और VHP के संगठन को गांव-गांव तक पहुंचा दिया.
अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) के भूमि पूजन (Bhoomi Pujan) को लेकर लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की मौजूदगी में भूमि पूजन कार्यक्रम सम्पन्न होगा. भूमि पूजन के लिए 150 से ज्यादा मेहमानों को न्योता भेजा गया है. समारोह के दौरान मंच पर पांच लोग रहेंगे.
पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले होने वाले भूमि पूजन समारोह के लिए सबसे पहला न्योता बहुत ही खास व्यक्ति को भेजा गया है. अयोध्या भूमि विवाद में बाबरी मस्जिद के पक्षकारों में से एक रहे इक़बाल अंसारी को समारोह में शामिल होने के लिए पहला निमंत्रण पत्र भेजा गया है.
पीएम मोदी भूमि पूजन के दौरान राम मंदिर के लिए नींव की ईंट रखेंगे. लेकिन इसके पहले वो हनुमानगढ़ी मंदिर जाएंगे, जहां वो भगवान हनुमान के दर्शन करेंगे. पीएम हनुमानगढ़ी पर पूजा करके धार्मिक अनुष्ठान का आरंभ करेंगे. ऐसा इसलिए किया जाएगा क्योंकि मान्यता है कि 'भगवान हनुमान के बिना, भगवान राम का कोई भी काम पूरा नहीं होता है.'
अयोध्या में 5 अगस्त को होने वाले राम मंदिर भूमि पूजन (Ram Mandir Bhoomi Pujan) के लिए तैयारियां जोरों पर है. अयोध्या जिले में 5 अगस्त को राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि-पूजन में बीजेपी के वरिष्ठ व दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी शामिल नहीं हो सकेंगे.
भगवान राम, भगवान विष्णु के सातवें अवतार.. अयोध्या के साथ उनका ताल्लुक और उनकी जन्मभूमि.. इस छोटे से अलसाये से कस्बानुमा शहर में रहने वाले लोगों के लिए ही नहीं दुनियाभर में रहने वाले हिंदुओं के लिये गहरी आस्था का मुद्दा है. राम आस्था का मुद्दा हैं जो त्रेतायुग से जुड़ी है. जो राम का युग है.. नैतिकता का युग.
Ayodhya Ram Temple:बीएसपी प्रमुख ने शुक्रवार को कहा कि इससे जातिविहीन समाज बनाने की संवैधानिक मंशा पर कुछ असर पड़ता. मायावती ने ट्वीट किया, ''दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनन्दन गिरि की शिकायत के मद्देनजर यदि अयोध्या में पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन समारोह में अन्य 200 साधु-सन्तों के साथ इनको भी बुला लिया गया होता तो यह बेहतर होता.''