रामलला का नया सिंहासन साढ़े नौ किलो चांदी से बनवाकर अयोध्या राज परिवार के मुखिया विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र ने रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को समर्पित कर दिया है.
रामनगरी अयोध्या में रामलला को वैकल्पिक गर्भगृह में ले जाए जाने की तैयारी है. रामलला अब अयोध्या में बुलेटप्रूफ फाइवर के बने मंदिर में रजत सिंहासन पर विराजेंगे. श्रीराम जन्मभूमि परिसर में नवनिर्मित वैकल्पिक गर्भगृह में शुरू हुआ प्राण-प्रतिष्ठा से जुड़ा पूजन-अर्चन शुरू हो चुका है.
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि फाइबर के मंदिर का निर्माण और अयोध्या में मंदिर परिसर के अंदर इसे स्थापित करने की जिम्मेदारी सुरक्षा एजेंसियों की होगी. राय ने बताया कि ट्रस्ट के आयोध्या कार्यालय के भवन को भी चयन कर लिया गया है.
अयोध्या पहुंचे महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा है कि वह बीजेपी से अलग हुए न कि हिंदुत्व से. उन्होंने कहा कि बीजेपी का मतलब हिंदुत्व नहीं होता है, हिंदुत्व अलग है, बीजेपी अलग है. आपको बता दें कि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में सरकार के 100 साल पूरे होने पर अयोध्या पहुंचे हैं.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सरकार के 100 दिन पूरे होने पर शनिवार को यूपी के अयोध्या में पहुंचे. जहां उन्होंने अपनी तरफ से एक करोड़ रुपए की राशि राम मंदिर निर्माण के ट्रस्ट को देने का फैसला किया. वहीं, अयोध्या आंदोलन के समय महाराष्ट्र से कई कारसेवक आए थे, इसलिए मैं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने प्रस्ताव रखता हूं कि यहां पर महाराष्ट्र भवन निर्माण कराने के लिए तैयार हैं. ताकि महाराष्ट्र से आए लोगों को यहां रुक सके.
इस ट्रस्ट में 15 सदस्य हैं. साधु-संतों के अलावा कई सम्मानित नागरिकों व नौकरशाहों को भी इसका सदस्य बनाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के प्रमुख सचिव रह चुके नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Mishra) को ट्रस्ट के प्रमुख का दायित्व सौंपा गया है. मंदिर निर्माण शुरू किए जाने व इसकी रूपरेखा को लेकर ट्रस्ट के सदस्य कई बैठकें कर चुके हैं. निर्माण शुरू किए जाने की तारीख अब होली (Holi 2020) के बाद तय की जाएगी.
वेदांती ने यहां संवाददाताओं से कहा, "केंद्र सरकार द्वारा ट्रस्ट (श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास) के गठन के बाद अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मुझे लगता है कि वर्ष 2024 के चुनाव से पहले इस मंदिर का प्रारूप खड़ा हो जाएगा. उन्होंने कहा, "चूंकि यह विश्व का सबसे बड़ा मंदिर और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बनेगा. इसलिये इसके निर्माण में राम जन्मभूमि परिसर की 67 एकड़ जमीन कम पड़ेगी. हो सकता है कि सरकार के गठित ट्रस्ट को भव्य मंदिर के निर्माण के लिये इस परिसर के आस-पास की भूमि का अधिग्रहण करना पड़े."
अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्होंने मंदिर निर्माण कार्य का आकलन किया. दौरे के दौरान यहां के कमिश्नर एमपी अग्रवाल, जिलाधिकारी अनुज कुमार झा और ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय भी नृपेंद्र मिश्र के साथ रहे. इस दौरान उन्होंने राम जन्मभूमि परिसर में करीब तीन घंटे बिताए. इसके बाद श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के स्थानीय सदस्यों और जिम्मेदार अधिकारियों के साथ बैठक कर शिलाओं को लाने वाले रास्ते का निरीक्षण किया.
रामलला की मूर्तियों को यहां सबसे पहले 22-23 दिसंबर, 1949 की मध्यरात्रि के दौरान रखा गया था. 43 साल बाद, विवादित ढांचे को ढहाए जाने के बाद मूर्तियों को हटा दिया गया था.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के नव मनोनीत अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि जो भक्तजन चाहें, वे दान दे सकते हैं लेकिन सरकार से इस कार्य में कोई आर्थिक सहयोग पाने की कामना नहीं है.