
डोनाल्ड ट्रंप आज पेंसिल्वेनिया में एक रैली को संबोधित कर रहे थे. खुले मैदान में हो रही इस रैली में हजारों लोग मौजूद थे. रैली के दौरान एकाएक गोलियां की आवाज सुनाई देने लगी और ट्रंप के समर्थक चिल्लाने लगे. इस दौरान ट्रंप समेत सभी लोग नीचे झुक गए. ट्रंप पर हुए हमले का एक वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में दिखाई दे रहा है कि कैसे ट्रंप को निशाना बनाया गया. हालांकि, इस हमले में डोनाल्ड ट्रंप बाल-बाल बच गए. हालांकि, उनके कान पर चोट आई है, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया.
ट्रंप ने शायद ही कभी सोचा होगा कि उन्हें चुनाव प्रचार रैली के दौरान यूं निशाना बनाया जाएगा. वह सिर पर लाल रंग की टोपी लगाकर बड़े जोश में लोगों को संबोधित कर रहे थे. वह कह रहे थे कि देखिए, हमारे देश को क्या हो गया है... इसके बाद गोलियों की आवाज आनी शुरू हो गई. ट्रंप इस दौरान कान पर हाथ लगाते हुए दिखे. और फिर वह नीचे झुक गए. वहीं, रैली में में मौजूद सभी लोग डर से चिल्लाने लगे. दरअसल, किसी को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है? कहां से गोलियां चल रही हैं.
Trump got shot in the side of the head at his rally in Pennsylvania pic.twitter.com/5xtwgRscOr
— Hodgetwins (@hodgetwins) July 13, 2024
इस बीच ट्रंप की सुरक्षा में तैनात सिक्योरिटी गार्ड तुरंत मंच पर पहुंच गए और पूर्व राष्ट्रपति को कवर कर लिया. इसके बाद ट्रंप के कान और चेहर पर खून नजर आया. लेकिन ट्रंप के चेहरे पर दर्द या भय का अहसास कहीं नजर नहीं आ रहा था. उनके चेहरे पर लड़ने का जज्बा दिखाई दे रहा था. ये जज्बा जब उनके मुंह से "फाइट फाइट" शब्दों के रूप में बयां हुआ. घायल ट्रंप को तुरंत अस्पताल ले जाया गया. ट्रंप के प्रवक्ता ने बताया कि ट्रंप खतरे से बाहर हैं.
सीक्रेट सर्विस और ट्रंप के प्रवक्ता दोनों ने बताया कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ठीक हैं. ट्रंप के प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने एक बयान में कहा, "वह ठीक हैं और स्थानीय डॉक्टर उनकी जांच कर रहे हैं." उन्होंने कहा, "जिल और मैं उसे सुरक्षित निकालने के लिए सीक्रेट सर्विस के आभारी हैं. अमेरिका में इस तरह की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. हमें इसकी निंदा करने के लिए एक राष्ट्र के रूप में एकजुट होना चाहिए."
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1964 में हैदराबाद में जिया हाशमी और तनवीर हाशमी के घर गजाला का जन्म हुआ था. शुरुआती कुछ साल गजाला अपने नाना के घर मालकपेट में रहीं. गजाला जब सिर्फ 4 साल की थी, तभी अपने बड़े भाई के साथ अमेरिका आ गई थीं.
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जोहरान ममदानी सात साल की उम्र में न्यूयॉर्क शहर आ गए थे. उनके पिता महमूद ममदानी युगांडा के फेमस लेखक हैं और भारतीय मूल के मार्क्सवादी विद्वान हैं. उनकी मां मीरा नायर एक पुरस्कार विजेता भारतीय-अमेरिकी फिल्म मेकर हैं.
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