अमेरिकी चुनाव में बाहरी ताकतों की दखलंदाज़ी का अंदेशा काफी वक्त से जताया जा रहा है और अब अमेरिका के खुफिया विभाग के उच्च अधिकारियों ने ये आरोप लगाया है कि ईरान, रूस और चीन गलत जानकारी फैला कर चुनाव में दखल देने की कोशिश कर रहे हैं. नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर जॉन रैटक्लिफ ने एक प्रेस कॉन्फेरेंस कर कहा कि ईरान और रूस ने वोटर रजिस्ट्रेशन की जानकारी हासिल कर ली है और ईरान धुर दक्षिणपंथी गुट प्राउड बॉय्ज़ बन के वोटरों को धमकाने वाले ईमेल भेज रहा है. इस प्रेस कॉन्फेरेंस में एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस रे भी मौजूकि जो द थे
रैटक्लिफ ने कहा कि जो डाटा इन देशों ने हासिल किया है उससे झूठी जानकारी दे कर वोटरों को भ्रमित करना, अफरा तफरी फैलाना और अमेरिकी लोकतंत्र में भरोसा कम करने की कोशिश है.
उन्होंने ये भी कहा कि ये ईमेल जो कहते हैं कि ट्रंप को वोट दो वरना....असल में राष्ट्रपति ट्रंप के चुनाव को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है. डेमोक्रैट और कुछ पूर्व खुफिया सेवा के अधिकारियों ने रैटक्लिफ पर चुन चुन कर जानकारी लीक कर ट्रंप की मदद करने का आरोप लगाया है.
यूनिवर्सिटी ऑफ पेनिसिल्वेनिया की कम्युनिकेशन प्रोफेसर डॉ कैथलीन हॉल फैक्ट चेक की साइट FactCheck.org की को फाउंडर भी हैं और कहती हैं कि 2016 के चुनावों में कई तरह से अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने की कोशिशें हुईं. इनमें मालवेयर, ट्रोल कैंपेन, नकली अमेरिकी स्थानीय न्यूज़ वेबसाइट, राजनीतिक पार्टी की वेबसाइट की नकल, शांत पड़े सोशल मीडिया एकाउंट के अचानक ऐक्टिव होकर भ्रम फैलाना वगैरह शामिल हैं. डॉ हॉल के मुताबिक इनसे और विकीलीक्स के आधार पर हुई रिपोर्टिंग ने असल में एजेंडा तय किया और उस कवरेज का असर वोटिंग पर हुआ हो सकता है. लीक हुई जानकारी - जैसे हिलेरी क्लिंटन के कैंपेन मेनेजर के ईमेल - के आलोचनात्मक इस्तेमाल न होने से कई ऐसे बिंदुओं पर ध्यान रहा जिनके कारण हिलेरी को वोट नहीं देने की संभावना बनी हो.
मतलब ये कि जब पत्रकार भी रिपोर्ट करते हैं तो उन्हें इन चीज़ों को लेकर सावधान रहना होगा और पाठकों या दर्शकों को ये भी बताना चाहिए कि स्वतंत्र तौर पर उन्होंने इसे परखा है या नहीं और इनको स्रोत क्या है. हालांकि इन चुनावों में अमेरिकी सरकार ने बाहरी ताकतों से वोटिंग पर कोई असर ना हो उसके लिए कई कदम उठाए हैं और एहतियात बरत रहे हैं.
ये इसलिए भी अहम है क्योंकि मौजूगा राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बयानों से सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस बार अमेरिका में शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण होगा अगर ट्रंप चुनाव हार जाते हैं. वैसे इस बार वहां वोटर बड़ी संख्या में पोस्टल बैलेट चुन रहे हैं और अब तक करीब 40 मीलियन या 29 फीसद वोटरों ने वोट दे भी दिया है. चुनाव 3 नवंबर को है.
कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...
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USAID Funding Case: अमेरिका का भारत के चुनाव में दखल? USAID फंडिंग को लेकर ट्रंप के बयान के बाद मचे घमासान की पूरी कहानी
Written by: प्रभांशु रंजनUSAID पर घमासान, ट्रंप ने कहा-'भारत के पास बहुत पैसा, हम 1.8 अरब क्यों दे रहे हैं?'
Reported by: NDTV इंडिया, Edited by: पीयूष जयजानबाइडन का दर्द-ए-दिल, मैं ट्रंप को पक्का हरा देता लेकिन...
Edited by: तिलकराजUSAID Funding Case: अमेरिकी संस्था यूएसएड की 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग पर ट्रंप के बयान से भारत में सियासी घमासान मचा है. भाजपा-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. USAID फंडिंग का पूरा मामला क्या है, जानिए इस रिपोर्ट में.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी दक्षता विभाग के उस फैसले का बचाव किया है, जिसमें USAID के जरिए भारत को दी जाने वाली 1 अरब 80 करोड़ रुपये की मदद रोक दी गई है. यह मदद भारत में मतदान बढ़ाने के लिए दी जा रही थी.ट्रंप का कहना है कि भारत के पास बहुत पैसा है.
अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि वह डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव हरा सकते थे, लेकिन पार्टी के कहने पर उन्हें पीछे हटना पड़ा.
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि भारत में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. यह एक तरह से दुनिया के सबसे रईस व्यक्ति एलन मस्क को जवाब माना जा रहा था, जिन्होंने लेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की सुरक्षा पर सवाल उठाए थे.
अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक एच 1 बी वीजा पर भिड़े हुए है. इसकी शुरूआत श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति के बाद हुई. ट्रंप के कुछ समर्थक इस पर आपत्ति जताने लगे. लेकिन अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने इसका समर्थन करते हुए एच 1 बी वीजा में सुधार की बात कही है.
अमेरिकी न्याय विभाग में अटार्नी ब्रायन पीस ने कहा है कि वो 10 जनवरी को इस्तीफा दें देंगे. पीस को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नियुक्त किया था. वो चुने गए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के 20 जनवरी को शपथ लेने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की मदद के लिए कम से कम 270 मिलियन डॉलर खर्च किए थे. जिसके साथ ही वो रिपब्लिकन के शीर्ष दाता बन गए हैं.
डोनाल्ड ट्रंप कथित तौर पर एक कार्यकारी आदेश की योजना बना रहे हैं, जिसके तहत अमेरिकी सेना से सभी ट्रांसजेंडर सदस्यों को हटा दिया जाएगा.
एक्स के सीईओ एलन मस्क भारत की चुनाव प्रक्रिया के फैन हो गए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए हैरानी जताई कि भारत में एक दिन में ही 64 करोड़ वोटों की गिनती हो गई.
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि बॉन्डी ने लगभग 20 वर्षों तक अभियोजक के रूप में काम किया और उस दौरान उन्होंने अपराधियों के प्रति सख्त रुख अपनाया साथ ही फ्लोरिडा को लोगों के लिए सुरक्षित स्थान बनाया.