अमेरिका जल्द ही अपना अगला राष्ट्रपति चुनने वाला है और वहां की एक परंपरा, जिस पर सबकी निगाह रहती है वह है प्रेसिडेंशियल डिबेट यानी राष्ट्रपति पद के दो उम्मीदवारों के बीच वाद-विवाद (Debate). ये डिबेट किसी कानून के तहत नहीं होता बल्कि 1976 में शुरू हुई एक परंपरा है. यूनिवर्सिटी ऑफ मिसोरी के कम्युनिकेशंस के प्रोफेसर मिचेल एस मैककिनी बताते है कि असल में ऐसी पहली डिबेट 1960 में रिचर्ड निक्सन और जॉन केनेडी के बीच हुई थी. बाद में निक्सन चुनाव हार गए थे और उन्हें लगा था कि केनेडी के साथ खड़े होकर डिबेट करने के कारण उनकी हार हुई. उन्होंने 1968, 1972 में डिबेट से इंकार कर दिया. असल में ठीक से इस डिबेट की परंपरा 1976 में ही शुरू हुई. हमने 29 सितंबर 2020 को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रतिद्वंदी जो बाइडेन के बीच पहला डिबेट देखा. इसके पहले ही अमेरिका के कई राज्यों में हिंसा हुई है. जानकारों के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप के बयानों ने, उनके ट्वीट्स ने लोगों को बांटने का काम ज्यादा किया है और लोगों ने पहले ही तय कर रखा है कि वो अपना वोट रिपब्लिकन्स को देंगे या डेमोक्रैट्स को. फिर भी इन परंपरागत डिबेट्स को बड़ी संख्या में लोगों ने देखा है तो सवाल उठता है कि क्या निक्सन सही थे? क्या सच में राष्ट्रपति पद को दोनों उम्मीदवारों के बीच डिबेट से वोटर अपनी राय बदलते हैं?
प्रोफेसर मिचेल एस मैककिनी कहते हैं कि उनकी यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक, जिन डिबेट में 90 फीसदी तक भी वोटर आते हैं, उनमें महज़ पांच फीसदी वोटर ही ऐसे होते हैं जिन्होंने पहले ही यह फैसला न किया हो कि किसे वोट देना है? इन पांच में से भी सिर्फ 2-3 फीसदी ऐसे हैं जो डिबेट के आधार पर ये निर्णय करते हैं कि वोट किसे देना है? फिर ऐसे डिबेट का मतलब क्या है...हमने जो ट्रंप-बाइडेन का पहला डिबेट देखा उसके बारे में लगातार बात हो रही है. उसकी तुलना पहले के डिबेट से हो रहा है और कहा ये जा रहा है कि पिछली बार ऐसे निजी हमलों से भरा डिबेट ट्रंप और हिलेरी क्लिंटन के बीच देखा गया था.
इस बार ट्रंप ने बाइडेन के बेटे हंटर के ड्रग एडिक्शन के बारे में तंज कसे, उनके कम रैलियां करने पर सवाल उठाए, उनके डेलावेयर यूनिवर्सिटी में 688 छात्रों की क्लास में 506वें रहने पर मज़ाक उड़ाया और और बार-बार उन्हें टोका. इससे आजिज़ आकर बाइडेन ने ट्रंप को 'शट अप', 'जोकर', 'सबसे बेकार राष्ट्रपति' और 'नस्लभेदी' तक कहा. कई अमेरिकी नागरिकों ने इस डिबेट के बाद,सोशल मीडिया पर ये सवाल उठाया कि ऐसी बहस को देखने का क्या फायदा] लेकिन जानकार मानते हैं कि ये भी सच है कि अमेरिकी डिबेट कमीशन के ज़रिए कराई गई इन बहसों से लोगों को मुख्य मुद्दों पर उम्मीदवारों से सवाल पूछने का, उनकी राय जानने का मौका मिलता है. अब इस चुनाव की लिए दो और प्रेसिडेंशियल डिबेट बाकी हैं- 15 अक्टूबर को मियामी, फ्लोरिडा में और 22 अक्टूबर को नैशविल, टेनेसी में.
कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.
अमेरिका गए राहुल गांधी के बयान पर फिर बवंडर, चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल
Edited by: श्वेता गुप्ताअमेरिका में वोट देने के तरीके को बदलने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप, भारत का उदाहरण देकर बताया क्या जरूरी
Written by: NDTV इंडियाकनाडा के PM मार्क कार्नी रविवार को करेंगे बड़ा ऐलान, इसके पीछे की वजह भी जानिए
Edited by: श्वेता गुप्ताअमेरिका में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (Rahul Gandhi On Election Commission) पर निष्पक्षता से समझौता करने और सिस्टम में बहुत बड़ी गड़बड़ी होने का आरोप लगाया.
डोनाल्ड ट्रंप ने कार्यकारी आदेश पर साइन करके अमेरिका के फेडरल चुनावों में वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए नागरिकता का डॉक्यूमेंट प्रूव देना अनिवार्य कर दिया है.
चुनाव के जल्द ऐलान से पता चलता है कि कार्नी अपनी लिबरल पार्टी के लिए वोटिंग में हुई वृद्धि का लाभ उठाना चाहते हैं. जिसकी वजह मुख्य रूप से अमेरिकी टैरिफ और ट्रंप के बार-बार दिए गए बयानों को भी माना जा रहा है.
USAID Funding Case: अमेरिकी संस्था यूएसएड की 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग पर ट्रंप के बयान से भारत में सियासी घमासान मचा है. भाजपा-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. USAID फंडिंग का पूरा मामला क्या है, जानिए इस रिपोर्ट में.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी दक्षता विभाग के उस फैसले का बचाव किया है, जिसमें USAID के जरिए भारत को दी जाने वाली 1 अरब 80 करोड़ रुपये की मदद रोक दी गई है. यह मदद भारत में मतदान बढ़ाने के लिए दी जा रही थी.ट्रंप का कहना है कि भारत के पास बहुत पैसा है.
अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि वह डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव हरा सकते थे, लेकिन पार्टी के कहने पर उन्हें पीछे हटना पड़ा.
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि भारत में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. यह एक तरह से दुनिया के सबसे रईस व्यक्ति एलन मस्क को जवाब माना जा रहा था, जिन्होंने लेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की सुरक्षा पर सवाल उठाए थे.
अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक एच 1 बी वीजा पर भिड़े हुए है. इसकी शुरूआत श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति के बाद हुई. ट्रंप के कुछ समर्थक इस पर आपत्ति जताने लगे. लेकिन अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने इसका समर्थन करते हुए एच 1 बी वीजा में सुधार की बात कही है.
अमेरिकी न्याय विभाग में अटार्नी ब्रायन पीस ने कहा है कि वो 10 जनवरी को इस्तीफा दें देंगे. पीस को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नियुक्त किया था. वो चुने गए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के 20 जनवरी को शपथ लेने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की मदद के लिए कम से कम 270 मिलियन डॉलर खर्च किए थे. जिसके साथ ही वो रिपब्लिकन के शीर्ष दाता बन गए हैं.