
US President Election 2020 : अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट (Democrat) पार्टी की उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और भारतीय मूल की कमला हैरिस (Kamala Harris) के नाम का मजाक उड़ाना रिपब्लिकन (Republican) पार्टी पर भारी पड़ते दिख रहा है. रिपब्लिकन सीनेटर डेविड परड्यू की इस हरकत के जवाब में सोशल मीडिया पर चले हैशटैग ''MyNameIs'' के साथ हजारों लोगों ने कमला हैरिस के प्रति समर्थन जताया है.
अमेरिकी चुनाव में इस बार राष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और जो बाइडेन (Joe Biden) के बीच है. बाइडेन ने कमला हैरिस को उप राष्ट्रपति ( Vice President ) पद का प्रत्याशी घोषित किया है. जबकि ट्रंप ने माइक पेंस को दोबारा वाइस प्रेसीडेंट कैंडीडेंट बनाया है.
यह भी पढ़ें--जो बाइडेन और कमला हैरिस ने हिंदुओं को नवरात्रि की शुभकामनाएं दीं
दरअसल, जॉर्जिया में एक चुनावी रैली में परड्यू कमला हैरिस का नाम काह, माह, लाह कहकर पुकारा. परड्यू यही नहीं रुके. उन्होंने कमाला, माला, मला कहकर भी हैरिस की हंसी उड़ाई मगर नस्लीय भावना से की गई इस टिप्पणी को जनता ने गंभीरता से लिया और परड्यू को अपने नाम का मतलब समझाया. हैरिस समर्थकों ने भी ‘MyNameIs' और ‘IstandwithKamala'' नाम से ऑनलाइन अभियान शुरू किया.
हैरिस की प्रवक्ता सबरीना सिंह ने कहा कि पूर्व सीनेटर डेविड परड्यू आप उन्हें होने वाली उप राष्ट्रपति कमला हैरिस बुला सकते हैं. सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने परड्यू को आलोचना करते हुए अपने नाम का मतलब और अपने जन्मस्थान के बारे में उन्हें समझाया.
प्रीत भरारा भी सामने आए
न्यूयॉर्क के दक्षिण जिले के पूर्व अटॉर्नी जनरल प्रीत भरारा ने ट्वीट किया,‘ मेरा नाम प्रीत है, जिसका अर्थ है प्यार.' मीना हैरिस ने ट्वीट किया, ‘मेरा नाम मीनाक्षी है. मेरा नाम हिंदू देवी और मेरी परदादी के नाम पर रखा गया. मेरा ताल्लुक उन मजबूत महिलाओं से है, जिन्होंने मुझे अपनी विरासत पर गर्व करना सिखाया और सम्मान मांगना सिखाया, खासतौर पर ‘सेंडाविडपरड्यू' जैसे नस्लीय श्वेत पुरुष से, जो हमसे खौफ खाते हैं.'
ममदानी से मुलाकात के पहले ही ट्रंप के बिगड़े बोल, न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम मेयर पर फिर की बयानबाजी
Edited by: Ashutosh Kumar Singhवर्ल्ड इकोनॉमी को AI करेगी ड्राइव, अमेरिकी कंपनियां अरबों डॉलर कर रही इन्वेस्ट: NDTV से बोले रुचिर शर्मा
Edited by: प्रभांशु रंजनदम आलू, चिली चिकन और चाय… न्यूयॉर्क के ‘देसी’ मेयर बनने के बाद ममदानी का स्पेशल लंच, शेयर की तस्वीर
Edited by: Ashutosh Kumar SinghDonald Trump- Zohran Mamdani Meeting: डोनाल्ड ट्रंप ने महीनों तक जोहरान ममदानी की आलोचना की है, उन्हें "कम्युनिस्ट पागल" करार दिया है और भविष्यवाणी की कि अगर डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट ममदानी ने मेयर चुनाव जीता तो न्यूयॉर्क बर्बाद हो जाएगा.
NDTV के एडिटर इन चीफ राहुल कंवल के 'Walk The Talk' प्रोग्राम में ग्लोबल इंवेस्टर और लेखक रुचिर शर्मा ने लंबी बातचीत की है. उन्होंने बताया कि AI के क्षेत्र में अभूतपूर्व निवेश आ रहा है. आने वाले समय में वर्ल्ड इकोनॉमी को एआई ड्राइव करेगी.
जोहरान ममदानी की पहली विक्ट्री स्पीच में भी उनकी भारतीय जड़ें नजर आईं, जिसमें उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रसिद्ध ‘ट्रस्ट विद डेस्टिनी’ भाषण का हवाला दिया. जब मंच से उतरे तो ‘धूम मचा ले’ गाना बैकग्राउंड में बज रहा था.
1964 में हैदराबाद में जिया हाशमी और तनवीर हाशमी के घर गजाला का जन्म हुआ था. शुरुआती कुछ साल गजाला अपने नाना के घर मालकपेट में रहीं. गजाला जब सिर्फ 4 साल की थी, तभी अपने बड़े भाई के साथ अमेरिका आ गई थीं.
NYC Mayor Election Zohran Mamdani: अमेरिका में भारतीय मूल के जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क शहर के मेयर का चुनाव जीत लिया है, जिसके बाद उनकी हर तरफ चर्चा हो रही है. ऐसे में जानते हैं कि अमेरिका में ये चुनाव कैसे होते हैं.
Zohran Mamdani Wife Rama Duwaji: न्यूयॉर्क मेयर पर जोहरान ममदानी की जीत के पीछे उनकी पत्नी रामा दुवाजी की भी अहम भूमिका बताई जा रही है. डिजिटल मीडिया एक्सपर्ट ने पति के कंपेन में बड़ा योगदान दिया.
Zohran Mamdani vs Donald Trump: न्यूयॉर्क के नए मेयर जोहरान ममदानी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को सीधे चुनौती दी है.
US Election Results: अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप को तगड़ा झटका लगा है. ट्रंप की लाख कोशिशों के बावजूद जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क मेयर का चुनाव जीत लिया है. वर्जीनिया और न्यू जर्सी में भी उन्हें झटका लगा.
जोहरान ममदानी सात साल की उम्र में न्यूयॉर्क शहर आ गए थे. उनके पिता महमूद ममदानी युगांडा के फेमस लेखक हैं और भारतीय मूल के मार्क्सवादी विद्वान हैं. उनकी मां मीरा नायर एक पुरस्कार विजेता भारतीय-अमेरिकी फिल्म मेकर हैं.
बिहार-यूपी के गांवों से निकलकर आज अपनी वैश्विक पहचान बना चुके छठ पर्व की भावना और बिहार विधानसभा चुनाव पर रंधीर कुमार गौतम और केयूर पाठक की टिप्पणी.

