इस बार के अमेरिकी चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन के साथ उपराष्ट्रपति पद के लिए मैदान में उतरीं भारतीय मूल की कमला हैरिस को लेकर भारत में काफी उत्सुकता है. लेकिन उनके इस चुनाव में उतरने की क्या है अहमियत? वो क्या कर पाएंगी एक उपराष्ट्रपति के तौर पर अगर वो चुनी जाती हैं? क्या ज़िम्मेदारियां या ताकत होगी उनके पास? उपराष्ट्रपति पद के बारे में ऐतिहासिक तथ्यों और मौजूदा स्थिति के बारे में हमने बात की जोएल सी इम्मेल से जो सेंट लुई युनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ में प्रोफेसर ऑफ लॉ एमिरेटस हैं. प्रोफेसर इम्मेल के मुताबिक अमेरिकी संविधान ने उपराष्ट्रपति के लिए दो भूमिकाएं तय की हैं - उपराष्ट्रपति अमेरिकी सिनेट का प्रमुख होता है और वोटिंग में टाई की स्थिति होने पर उसका वोट टाई-ब्रेकर होता है. और दूसरी भूमिका ये कि जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति पद का पहला उत्तराधिकारी होता है. अधिकतर 19वीं सदी और आधी 20वीं सदी तक उपराष्ट्रपति की सिनेट के बाहर कोई भूमिका नहीं होती थी. पार्टी उन्हें चुनती थी और कई बार उनकी राय राष्ट्रपति से मिलती नहीं थी. उनके ना कोई खास योग्यता होती थी ना नामी गिरामी होते थे. लेकिन ये हालात तब बदलने शुरू हुए जब 1953 में रिचर्ड निक्सन उपराष्ट्रपति बने.
ये हालात भी इसलिए बदले क्योंकि उस वक्त दुनिया में काफी कुछ बदला. अमेरिका में न्यू डील यानी आर्थिक पुनरुत्थान की कोशिशें, दूसरे विश्व युद्ध के बाद राष्ट्रीय सरकार सबसे अहम हो गई. ये वक्त शीत युद्ध का भी था और रूस को टक्कर देने के लिए उपराष्ट्रपति पद पर एक ऐसे शख्स का होना जरूरी था जो एटॉमिक एज में देश का पक्ष दूसरे देशों के सामने रख सके, जिसे इन विषयों की जानकारी हो और जिसकी इज्ज़त हो. राष्ट्रपति ड्वाइट सी आइजनहावर निक्सन को दूत के तौर पर अंतरराष्ट्रीय दौरों पर भेजा करते थे, निक्सन सुरक्षा बैठकों में शामिल होते थे, कमेटियों के प्रमुख होते थे. निक्सन के दौर में उपराष्ट्रपति पद राष्ट्रपति पद के लिए सबसे अहम शुरुआत बन गया.
लेकिन प्रोफेसर इम्मेल बताते हैं कि पुख्ता बदलाव 1976-77 में आया जब राष्ट्रपति पद पर जिम्मी कार्टर थे और उपराष्ट्रपति पद पर वॉल्टर मॉन्डेल. इसी वक्त में उपराष्ट्रपति को वाइट हाउस में लाया गया और वो राष्ट्रपति के सबसे करीबी पदाधिकारियों में से एक बने. यही मॉडल पिछले 44 साल से चला आ रहा है. उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के सबसे उच्च स्तरीय सलाहकार होते हैं और वो कार्य करते हैं जो सरकार में उच्च स्तर पर किए जाने हैं. वो हर दिन राष्ट्रपति से मिल सकते हैं, उनके मेमो देख सकते हैं, ब्रीफिंग में शामिल हो सकते हैं, और कई बार वो सलाह भी दे सकते हैं जो राष्ट्रपति बहुत पसंद न करें लेकिन उनका जानना ज़रूरी हो.
राष्ट्रपति ओबामा के वक्त उपराष्ट्रपति जो बाइडेन को इराक से अमेरिकी सेना हटाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी. उपराष्ट्रपति माइक पेंस कोरोना टास्क फोर्स का नेतृत्व कर रहे हैं. तो उपराष्ट्रपति को इसीलिए शायद अमेरिका में कहा जाता है रनिंग मेट क्योंकि सरकार में उन्हें कदम से कदम मिला कर चलना होता है.
कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...
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