अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव (US President Election) के 24 घंटे से भी कम वक्त बचा है, लेकिन मौजूदा प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने चुनाव प्रचार के आखिरी वक्त भी यह वादा करने से इनकार कर दिया कि नतीजे कुछ भी हों, वह उसे स्वीकार करेंगे. इससे यह आशंका बढ़ गई है कि अगर कांटे का मुकाबला रहा तो पोस्टल बैलेट में गड़बड़ियों का आरोप लगाते ट्रंप अदालत का रुख कर सकते हैं. हालांकि डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडेन (Joe Biden) ने चुनाव प्रणाली पर भरोसे के साथ जीत का दावा किया है.
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ऐसे में वर्ष 2000 में हुए चुनाव की तरह सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लंबी लड़ाई खिंच सकती है. तब रिपब्लिकन प्रत्याशी (Republican Candidate) जॉर्ज बुश (George Bush) और डेमोक्रेट उम्मीदवार (Democrat Candidate) अलगोर के बीच फासला इतना कम था कि फ्लोरिडा के वोटों की दोबारा मतगणना को लेकर विवाद छिड़ गया और सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा. ट्रंप ने वर्ष 2016 के चुनाव के वक्त भी ऐसा ही किया था. उन्होंने एक बार फिर मेल इन वोटिंग यानी पोस्टल बैलेट पर सवाल खड़े किए हैं. अमेरिका में मतदाताओं की संख्या 23.9 करोड़ है.कोरोना काल में ऐतिहासिक तौर पर 9 करोड़ दस लाख लोग पहले ही वोट कर चुके हैं, जो करीब 38 फीसदी है.
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ट्रंप सुप्रीम कोर्ट से भी आस लगाए बैठे
प्रोपब्लिका की रिपोर्ट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने यहां तक कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चुनावी गड़बड़ियों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट उन्हें दोबारा कार्यकाल का मौका देगा. चुनाव के ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट में खाली पद पर एमी कोरेन बैरेट की नियुक्ति करवाकर ट्रंप ने अपने इरादे भी जता दिए हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में नौ जज हो जाने से फैसला बराबरी पर रहने की गुंजाइश नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट में तीन जज ऐसे हैं, जो बुश बनाम अलगोर (Al Gore) के विवाद के दौरान फ्लोरिडा में पुनर्मतगणना की कानूनी जंग में रिपब्लिकन पार्टी की नुमाइंदगी कर रहे थे.
फेसबुक ने जताई अशांति की आशंका
चुनाव को लेकर सोशल मीडिया में जिस कदर जहर घुल चुका है. उसे देखते हुए फेसबुक (Facebook) ने अमेरिकी चुनाव के बाद बड़े पैमाने पर अशांति की आशंका भी जताई है. चुनावी विश्लेषकों का आशंका है कि श्वेत-अश्वेत, अल्पसंख्यकों को अलग-थलग करने की प्रचार की रणनीति चुनाव बाद विस्फोटक रूप ले सकती है. हालांकि अमेरिका चुनाव को लेकर विवाद पहले भी होते रहे हैं...
बुश बनाम अलगोर का विवाद डरा रहा
इस चुनाव (US President Election) में फ्लोरिडा (Florida) के 25 निर्वाचक वोट निर्णायक साबित हुए. बुश 500 से भी कम वोटों से आगे थे और अलगोर ने वोटों की हाथों से गिनती की मांग कर दी. फ्लोरिडा में ही दर्जनों मुकदमे दाखिल हुए. सुप्रीम कोर्ट को दो बार दखल देना पड़ा. पूरे प्रांत में हाथों से वोटों की गिनती को लेकर विवाद दिसंबर तक नए राष्ट्रपति घोषित करने की समयसीमा नजदीक आ गई. यह समयसीमा खत्म होने के कुछ घंटों पहले सुप्रीम कोर्ट ने 5-4 से बुश को विजेता घोषित कर दिया. आशंका है कि जो तब फ्लोरिडा में हुआ, वह 2020 में पेनसिल्वेनिया में हो सकता है.
1800 : जब मुकाबला रहा टाई
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 220 साल पहले एक मुकाबला टाई पर रहा, जब थॉमस जेफरसन (Thomas Jefferson) और एरन बर को बराबर इलेक्टोरल कॉलेज मिले. ऐसी स्थिति में अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रंजेटेटिव (House of Representatives) में मतदान हुआ तो 36 वोट ज्यादा पाकर जेफरसन राष्ट्रपति बने.
1824 : जैक्सन को बहुमत नहीं मिला
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए 1824 में हुआ 7वें चुनाव में एंड्रयू जैक्सन (Andrew Jackson) को सबसे ज्यादा वोट हासिल हुए, जॉन क्विंसी और दो अन्य उम्मीदवार उनसे पीछे रहे. लेकिन जैक्सन निर्वाचक वोटों (Electoral College) का बहुमत नहीं पा सके. फिर प्रतिनिधि सभा में वोट पड़े और उन्हें विजेता घोषित किया गया.
1860 : छिड़ा गृह युद्ध, छह लाख लोग मारे गए
अमेरिका में 1860 के चुनाव के नतीजों को लेकर गृह युद्ध छिड़ गया. रिपब्लिकन प्रत्याशी अब्राहम लिंकन (Abraham Lincon) ने डेमोक्रेट उम्मीदवार स्टीफन डगलस समेत तीन प्रत्याशियों को हराया, लेकिन दक्षिण के राज्यों ने नतीजे मानने से इनकार कर दिया और गृह युद्ध छिड़ गया. इसमें छह लाख लोग मारे गए.
1876 में बातचीत से निकला समाधान
अमेरिका में 1876 के चुनाव में रदरफोर्ड हायेस और सैमुअल टिल्डन के बीच विजेता का निर्णय नहीं हो सका. ऐसे में दोनों दलों के बीच चुनाव आयोग के जरिये वार्ता हुआ और हायेस राष्ट्रपति बने.
1960 कैनेडी और निक्सन के बीच विवाद उभरा
अमेरिका में 1960 के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट प्रत्याशी जॉन एफ कैनेडी (John F Canedy) और रिपब्लिकन प्रत्याशी रिचर्ड निक्सन (Richard Nixon) के बीच मुकाबले में विवाद उभरा. हालांकि राजनीतिक दबाव के बीच निक्सन ने नतीजे को बाद में मान लिया.
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