अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) ने बुधवार (23 सितंबर) को साफ तौर पर सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण की गारंटी देने से इनकार कर दिया. उनसे पूछा गया था कि अगर नवंबर के चुनाव में वो अपने प्रतिद्वंदी जो बिडेन से चुनाव हार जाते हैं तो पॉवर ट्रांसफर कितना आसान होगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कोई गारंटी नहीं दे सकते. हालांकि, उन्होंने कहा, "ठीक है, अभी हम यह देखने जा रहे हैं कि होता क्या है?" व्हाइट हाउस के संवाददाता सम्मेलन में ट्रम्प से पूछा गया था कि क्या वह संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकतांत्रिक शासन के सबसे बुनियादी सिद्धांत के लिए प्रतिबद्ध हैं?
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनावों में ट्रम्प फिलहाल अपने प्रतिद्वंदी और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन के खिलाफ चुनावों में पीछे चल रहे हैं. इस बीच ट्रन्प ने फिर से चुनाव के आयोजन के तरीके के बारे में अपनी दैनिक शिकायतें शुरू कर दी हैं.
कोरोनावायरस महामारी के कारण जाहिर तौर पर मेल-इन मतपत्रों के बढ़ते उपयोग का उल्लेख करते हुए ट्र्म्प कहा, "आप जानते हैं कि मतपत्रों के बारे में बहुत दृढ़ता से मेरी शिकायत रही है. ये मतपत्र एक आपदा हैं." ट्रम्प अक्सर दावा करते हैं कि मेल-इन मतपत्र (डाक से भेजे गए बैलेट पेपर) बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी के साधन हैं और डेमोक्रेट द्वारा चुनाव में धांधली करने के लिए इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है. हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि डाक सेवा के माध्यम से भेजे गए मतपत्रों ने कभी अमेरिकी चुनावों में महत्वपूर्ण धोखाधड़ी की है.
ट्रम्प ने फॉक्स न्यूज से रिपोर्टर को निकालने के लिए कहा: '''कमेंट के लिए हमें कभी फोन न करें''
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने कहा कि मौजूदा दौर में बड़ी संख्या में मेल-इन मतपत्रों की उम्मीद की जा रही है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी स्थिति में वह सत्ता में बने रहेंगे. ट्रम्प ने कहा, "मतपत्रों से छुटकारा पाएं, आपके पास बहुत शांति होगी. सत्ता का कोई हस्तांतरण नहीं होगा. स्पष्ट रूप से कह रहा हूं, एक निरंतरता होगी."
अमेरिका गए राहुल गांधी के बयान पर फिर बवंडर, चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल
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डोनाल्ड ट्रंप ने कार्यकारी आदेश पर साइन करके अमेरिका के फेडरल चुनावों में वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए नागरिकता का डॉक्यूमेंट प्रूव देना अनिवार्य कर दिया है.
चुनाव के जल्द ऐलान से पता चलता है कि कार्नी अपनी लिबरल पार्टी के लिए वोटिंग में हुई वृद्धि का लाभ उठाना चाहते हैं. जिसकी वजह मुख्य रूप से अमेरिकी टैरिफ और ट्रंप के बार-बार दिए गए बयानों को भी माना जा रहा है.
USAID Funding Case: अमेरिकी संस्था यूएसएड की 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग पर ट्रंप के बयान से भारत में सियासी घमासान मचा है. भाजपा-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. USAID फंडिंग का पूरा मामला क्या है, जानिए इस रिपोर्ट में.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी दक्षता विभाग के उस फैसले का बचाव किया है, जिसमें USAID के जरिए भारत को दी जाने वाली 1 अरब 80 करोड़ रुपये की मदद रोक दी गई है. यह मदद भारत में मतदान बढ़ाने के लिए दी जा रही थी.ट्रंप का कहना है कि भारत के पास बहुत पैसा है.
अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि वह डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव हरा सकते थे, लेकिन पार्टी के कहने पर उन्हें पीछे हटना पड़ा.
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि भारत में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. यह एक तरह से दुनिया के सबसे रईस व्यक्ति एलन मस्क को जवाब माना जा रहा था, जिन्होंने लेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की सुरक्षा पर सवाल उठाए थे.
अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक एच 1 बी वीजा पर भिड़े हुए है. इसकी शुरूआत श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति के बाद हुई. ट्रंप के कुछ समर्थक इस पर आपत्ति जताने लगे. लेकिन अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने इसका समर्थन करते हुए एच 1 बी वीजा में सुधार की बात कही है.
अमेरिकी न्याय विभाग में अटार्नी ब्रायन पीस ने कहा है कि वो 10 जनवरी को इस्तीफा दें देंगे. पीस को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नियुक्त किया था. वो चुने गए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के 20 जनवरी को शपथ लेने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की मदद के लिए कम से कम 270 मिलियन डॉलर खर्च किए थे. जिसके साथ ही वो रिपब्लिकन के शीर्ष दाता बन गए हैं.