• Home/
  • अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव : कमला हैरिया या फिर डोनाल्ड ट्रंप, किसे जिताना चाहते हैं ये देश

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव : कमला हैरिया या फिर डोनाल्ड ट्रंप, किसे जिताना चाहते हैं ये देश

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव : कमला हैरिया या फिर डोनाल्ड ट्रंप, किसे जिताना चाहते हैं ये देश
डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस
नई दिल्ली: 

US Presidential election 2024: अमेरिका में राष्ट्रपति के लिए वोटिंग 5 नवंबर को होनी है. दो प्रमुख दल डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन में टक्कर है. डेमोक्रैट्स की ओर से कमला हैरिस और रिपबल्किन की ओर से डोनाल्ड ट्रंप मैदान में हैं. कमला हैरिस वर्तमान डेमोक्रेट्स की सरकार में उपराष्ट्रपति हैं. जबकि डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन की ओर से 2016 का चुनाव जीते थे और राष्ट्रपति पर रह चुके हैं. ऐसे में जब दोनों ही उम्मीदवारों और उनके विचारों से दुनिया काफी हद तक परिचित है तो यह भी तय है कि दुनिया के देशों की निगाह अमेरिकी चुनाव पर टिकी होगी. हर देश का हित अमेरिकी सरकार से कहीं न  कहीं जुड़ा होता है. ऐसे में हर देश की इच्छा होगी कि उसकी पसंद का नेता या पार्टी अमेरिका में चुनाव जीते.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय में 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप को लेकर विभिन्न देशों की राय उनके रणनीतिक हितों, नीतियों और अमेरिका के साथ राजनयिक संबंधों पर निर्भर करती है. 

Latest and Breaking News on NDTV

क्या चाहते हैं यूरोपीय देश
ऐसे में सबसे पहले बात करते हैं अमेरिका के सबसे करीबी दोस्त रहे यूरोपीय देशों की. यूरोपीय संघ और नाटो जैसे यूरोपीय सहयोगी संभवतः यह चाह रहे होंगे कि  व्हाइट हाउस पर कमला हैरिस पहुंचे क्योंकि हैरिस नाटो और बहुपक्षीय संबंधों की मजबूत समर्थक हैं. कमला हैरिस वर्तमान सरकार में उपराष्ट्रपति हैं और वह यूरोप के साथ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की नीति पर यकीन करती हैं.  इसके विपरीत, यदि डोनाल्ड  ट्रंप की  बात की जाए तो यह तय है कि यूरोपीय देशों को यह उचित नहीं लगेगा. इसके पीछे का सबसे महत्वपूर्ण कारण यह होगा कि डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में नाटो की आलोचना की थी.

नाटो की ट्रंप की आलोचना से काफी यूरोपीय देश सहम गए थे. ये सभी देश नाटो के भविष्य को लेकर आशंकित होंगे.

रूस और यूक्रेन की क्या है इच्छा

बात करते हैं रूस और यूक्रेन की. दोनों ही देशों में ढाई साल से भी ज्यादा समय से युद्ध चल रहा है. अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन इस समय खुलकर यूक्रेन का साथ दे रहे हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

अमेरिका की ओर से यूक्रेन को हर तरह की मदद दी जा रही है. ऐसे में यूक्रेन यही चाहेगा की बाइडेन की सहयोग कमला हैरिस ये चुनाव जीत जाएं और राष्ट्रपति बनें ताकि यूक्रेन को मिलने वाली सहायता बदस्तूर जारी है. दूसरी तरह रूस की बात की जाए तो वहां डोनाल्ड ट्रंप के आने का इंतजार हो रहा होगा.

Latest and Breaking News on NDTV
कारण साफ है कि ट्रंप के आने पर यदि वे यूक्रेन के समर्थन से हाथ खींच लेते हैं तो रूस की जीत को ज्यादा समय नहीं लगेगा. यानी ट्रंप की जीत रूस की यूक्रेन पर जीत भी हो सकती है.

फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि यदि वे चुनाव जीतते हैं तो रूस यूक्रेन का युद्ध 24 घंटों में समाप्त हो जाएगा. उनका कहना है कि वे यूक्रेन को नाटो सदस्य बनने की जिद से पीछे हटने के लिए कहेंगे और दोनों देशों के बीच बफर जोन बनाने के लिए कहेंगे. यह बात रिपब्लिकन पार्टी की ओर उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार जेडे वांस ने कही थी. ऐसा होने की स्थिति में यह तो साफ है कि रूस की दो अहम मांगें पूरी हो जाएंगी और जाहिर है युद्ध समाप्त हो जाएगा.

चीन को क्या दिक्कत

ट्रंप के आने चीन को दिक्कत होना तय है. ट्रंप कई बार चीन की आर्थिक नीतियों की आलोचना कर चुके हैं. संभव है कि ट्रंप के आने के बाद चीन के साथ अमेरिका के व्यापार में कुछ बदलाव हो जिससे चीन को नुकसान हो.

Latest and Breaking News on NDTV

पहले से ही दबाव में पड़ी चीन की अर्थव्यवस्था के लिए ट्रंप का आना एक चोट के समान होगा. गौरतलब है कि ट्रंप और वांस चीन से आयातित उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने की वकालत कर चुके हैं

  संभव है चीन यही चाह रहा होगा कि कमला हैरिस ये चुनाव जीतें ताकि कम से कम वर्तमान नीति आगे चलती रहे. 

ताइवान में किसे जिताने की इच्छा

गौरतलब है कि ट्रम्प ने ताइवान का समर्थन करने के फायदे के बारे में लगातार संदेह जताया है जबकि उनके पहले कार्यकाल के दौरान उनके प्रशासन के सदस्य ताइवान के समर्थन में तत्पर रहे थे. मोटे तौर पर विदेश नीति के मुद्दों में, ट्रंप का फॉर्मूला लेन-देन के दृष्टिकोण वाला होता है. यानी क्या फायदा हो रहा है. ट्रंप का ध्यान व्यापार संतुलन, मित्र देश के रक्षा खर्च का स्तर, या उस देश से आने वाला निवेश आदि मुद्दों पर रहता है. 

Latest and Breaking News on NDTV

इसके विपरीत हैरिस विदेशी मामलों के प्रति अधिक व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाते हुए दिखती हैं. वर्तमान सरकार का रुख भी कुछ ऐसा ही है. वह मित्र देशों के प्रति अमेरिका की सुरक्षा प्रतिबद्धताओं की विश्वसनीयता की रक्षा करने और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के महत्व पर जोर देती हैं. बाइडेन-हैरिस प्रशासन के दौरान, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी ताइवान के प्रति अधिक समग्र दृष्टिकोण अपनाया, जिसमें आर्थिक संबंधों को गहरा करना, सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना और ताइवान के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाना शामिल है.

इससे साफ है कि ताइवान के लिए हैरिस कितनी अहम हैं और चीन के लिए दोहरी समस्या है. एक जीता तो एक नुकसान और दूसरा जीता तो दूसरा नुकसान.

मध्य पूर्व के देशों में किसका समर्थन

मध्य पूर्व के कुछ देश ट्रंप की नीतियों को पसंद कर सकते हैं. इसमें विशेष रूप से इज़राइल और कुछ अरब देश शामिल हैं. कुछ देश जो जो ईरान के खिलाफ सख्त रुख का समर्थन करते हैं, जैसे कि सऊदी अरब, डोनाल्ड ट्रंप का रुख को पसंद करते हैं. ऐसे देशों को डोनाल्ड ट्रंप पसंद होंगे. वहीं दूसरे देश हैरिस का समर्थन करें यह भी उतना ठीक नहीं होगा.

क्या चाहेगा इजरायल

अमेरिका का वर्तमान शासन भी इजरायल की भरपूर मदद कर रहा है. यद्यपि इजरायल पिछले एक साल से ज्यादा समय से युद्ध में लगा हुआ है और जिस प्रकार से अमेरिका से मदद की अपेक्ष कर रहा है उसे वैसी मदद नहीं मिल रही है.

Latest and Breaking News on NDTV

ट्रंप शासन की नीति के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि वेस्ट बैंक में इजरायल को और जमीन सीधे अपने अधीन करने का मौका मिल जाएगा.

इससे यह साफ है कि फिलिस्तीन के लिए आवाज उठाने वाले मुस्लिम देशों की नजर में ट्रंप का जीतना ठीक नहीं होगा. 

भारत पर क्या होगा असर

जहां तक भारत की बात है तो जानकारों का कहना है कि चाहे ट्रंप जीतें या फिर कमला हैरिस यह तय माना जा रहा है कि भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ेगा. 

Share this story on

और ख़बरें