Biden Versus Trump : 2024 के अमेरिकी चुनाव में लंबे वक्त से एक ही निष्कर्थ आना तय माना जा रहा है, जिसमें जो बाइडेन और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के बीच दोबारा राष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला देखा जा सकता है.
हालांकि, यदि किन्हीं कारणों की वजह से दोनों दावेदारों में से कोई एक भी नवंबर में होने वाले मतदान में हिस्सा नहीं ले पाता है तो क्या होगा? इससे राजनीतिक भ्रम की स्थिति तो उत्पन्न हो ही सकती है लेकिन नियमों और विशेषज्ञों के मुताबिक जानें कि ऐसी स्थिति में अमेरिका में क्या हो सकता है.
81 वर्षीय राष्ट्रपति जो बाइडेन जो डेमोक्रेट पार्टी से उम्मीदवार हैं या फिर 77 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जो रिपब्लिकन पार्टी से उम्मीदवार हैं के मतपत्र पर न होने के पीछे क्या कारण हो सकता है?
इसका सबसे पहला कारण दोनों की उम्र हो सकती है. बता दें कि जनवरी 2025 में दोनों में से कोई भी एक अमेरिका का सबसे अधिक उम्र का राष्ट्रपति होगा. हालांकि, दोनों में से किसी ने भी किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या की सूचना नहीं दी है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि दोनों में ही अपनी बढ़ती उम्र के कारण मृत्यु दर या गंभीर बीमारी होने का खतरा बढ़ गया है.
स्वैच्छिक रूप से अपना नाम वापस लेने के बारे में? डेमोक्रेटिक राजनीतिक रणनीतिकार राचेल बिटेकोफ़र ने कहा, "यह एक बेहद हास्यास्पद कल्पना है. अगर रिपब्लिकन अपने नियमों को बदलते हुए उम्मीदवार को बदलना चाहे - 'उदाहरण के लिए, ट्रम्प की कानूनी सजा के बाद चुनावों ने विनाशकारी मोड़ ले लिया है' - लेकिन फिर भी वो ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि इससे उनका आधार पूरी तरह से खत्म हो जाएगा."
वहीं दूसरी ओर बाइडेन नियमित रूप से दावा करते हैं कि वह सबसे योग्य उम्मीदवार हैं, लेकिन सर्वेक्षणों में सामने आया है कि उनकी उम्र मतदाताओं को परेशान कर रही है.
डेमोक्रेटिक कांग्रेसी एडम स्मिथ ने कहा, "आपको क्या कहना चाहिए - 'ओह, वह ठीक है, वह कल ट्रायथलॉन दौड़ने जा रहे हैं'? मेरा मतलब है, वह 81 साल के है." फिर भी, "किसी ने भी उनके खिलाफ चुनाव में उतरने का फैसला नहीं किया और इसलिए हम यहां हैं."
इस बीच ट्रम्प ने जोर देकर कहा है कि वह चुनाव से पहले संभावित रूप से आपराध में दोष सिद्ध होने के बाद भी चुनाव लड़ेंगे, जिसकी वजह से उन्हें दशकों तक जेल में रहना पड़ सकता है.
किसी पार्टी के औपचारिक उम्मीदवार को नामित करने के लिए, सभी राज्य के प्रतिनिधि, अपनी पार्टी के ग्रीष्मकालीन नामांकन सम्मेलन में शामिल होते हैं, जहां प्राथमिक मतदान होता है और उसी के आधार पर उम्मीदवार को आधिकारिक तौर पर चुना जाता है.
यदि बाइडेन या ट्रम्प प्राइमरीज़ के खत्म होने से पहले दौड़ से बाहर हो जाते हैं, तो अंतिम निर्णय सम्मेलन में प्रतिनिधियों के पास जाएगा. लेकिन ऐसा तब से नहीं हुआ है जब से राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन ने 31 मार्च, 1968 को वियतनाम युद्ध के बीच में चौंकाने वाली घोषणा की थी और कहा था कि वह दोबारा चुनाव नहीं लड़ेंगे. तब से, सम्मेलन सुगठित मामले रहे हैं, जिनके नतीजे पहले से ही मालूम होते हैं क्योंकि वो प्राइमरीज़ द्वारा निर्धारित होते हैं. लेकिन इस साल, यदि एक उम्मीदवार भी चला जाता है तो, एक सम्मेलन हो सकता है, जहां परिणाम, समय से पहले किसी को मालूम नहीं होंगे.
और यदि सम्मेलन में आधिकारिक तौर पर नामांकित होने के बाद उम्मीदवारों में से किसी एक को कुछ हो जाता है तो क्या होगा?
पार्टियों की औपचारिक शासी निकायों में से एक, डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी या रिपब्लिकन नेशनल कमेटी, एक असाधारण सत्र में एक नए उम्मीदवार को नामांकित करेगी. रिपब्लिकन खेमे में, आरएनसी में फेरबदल हो रहा है और ट्रम्प ने अपनी बहू लारा को नेतृत्व की भूमिका में रखने का सुझाव दिया है, जिससे उनके खेमे को रिप्लेसमेंट चुनने में भारी प्रभाव मिलेगा.
बाइडेन की जगह लेने के लिए एक मजबूत उम्मीदवार उनकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस होंगी, जो पहले से ही उनके अभियान का हिस्सा हैं. अन्यथा, कई मजबूत डेमोक्रेटिक राजनेताओं - कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसोम, मिशिगन के ग्रेचेन व्हिटमर और पेंसिल्वेनिया के जोश शापिरो में से किसी को भी चुना जा सकता है. लेकिन ट्रम्प ने अभी तक उपराष्ट्रपति के लिए अपनी पसंद की घोषणा नहीं की है.
और जैसा कि जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में सरकार के प्रोफेसर हंस नोएल ने बताया, ट्रम्प ने प्राइमरीज़ में अपनी पार्टी के अन्य दिग्गजों को कमतर आंका है. इनमें से प्रमुख हैं फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस, जिन पर ट्रम्प ने अपनी उम्मीदवारी खत्म करने से पहले लगातार निशाना साधा है.
इसके अलावा सूची में सबसे ऊपर निक्की हेली हैं, जो रिपब्लिकन प्राइमरीज़ में रहने के लिए ट्रम्प के अलावा एकमात्र गंभीर उम्मीदवार हैं - लेकिन ट्रम्प के वफादार अनुयायी उनसे नफरत करते हैं. नोएल ने कहा, "निक्की हेली पहले एक विकल्प बनने के लिए अच्छी स्थिति में थीं," लेकिन पार्टी के पसंदीदा के खिलाफ लड़ाई जारी रखने से उन्होंने "ट्रम्प को पसंद करने वाले किसी भी व्यक्ति" से अपने लिए समर्थन खो दिया है.
इस बीच, क्या कोई मजबूत तीसरे पक्ष का उम्मीदवार उभर सकता है? अभी तक कोई भी स्वतंत्र उम्मीदवार अमेरिका की प्रमुख दो-दलीय प्रणाली के लिए कोई खतरा पैदा नहीं कर रहा है. 1992 में, टेक्सास के अरबपति रॉस पेरोट, एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते हुए, लगभग 19 प्रतिशत लोकप्रिय वोट जीतने में कामयाब रहे थे. लेकिन अंत में, अमेरिकी चुनाव प्रणाली की अनियमितताओं के कारण, उन्हें सबसे महत्वपूर्ण वोटों में से एक भी वोट नहीं मिला: इलेक्टोरल कॉलेज के 538 सदस्यों में से जो अंत में विजेता का फैसला करते हैं.
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अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति बाइडेन (US Joe Biden) ने कहा," अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बढ़ने का एक बड़ा कारण यह है भी है, "क्योंकि हम अप्रवासियों का स्वागत करते हैं."
इस बार अमेरिका का चुनावी भविष्य क्या होगा, ये समझाने के लिए उन्होंने 13 कीज टू द व्हाइट हाउस नाम से प्रिडक्शन तैयार किया है. ये कीज असल में ट्रू और फॉल्स सवालों की एक फेहरिस्त है.
नोएम उन उम्मीदवारों की सूची में हैं, जिन पर डोनाल्ड ट्रंप अपने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में विचार कर रहे हैं. ट्रम्प को 5 नवंबर को डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ आम चुनाव का सामना करना है.
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए चल रहे प्रचार के दौरान ट्रंप (US Elections 2024) अपने बयानों की वजह से लगातार चर्चा में बने हुए हैं. 'नफरती भाषण' के लिए उनकी अक्सर आलोचना होती है. विशेषज्ञों को डर है कि ट्रंप के ऐसे भाषण से हिंसा का खतरा बढ़ रहा है.
अमेरिका की राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में सिख समुदाय के लोगों ने भी प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन में एक कार रैली निकाली. उन्होंने कहा कि "भाजपा की जीत न केवल भारत के लिए, बल्कि दुनिया में भी शांति एवं स्थिरता लाने के लिए समय की मांग है."
ट्रंप की टिप्पणियों (US Presidential Election 2024) पर डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के प्रवक्ता एलेक्स फ्लॉयड ने सोमवार को एक बयान में कहा, "ट्रंप द्वारा यहूदी समुदाय के खिलाफ लगातार किए जा रहे भयावह,आक्रामक हमलों से यहूदी अमेरिकी बेहतर के हकदार हैं."
भाजपा के दिवंगत नेता अरुण जेटली और हरदीप सिंह पुरी को क्रमशः 2014 और 2019 में अमृतसर से हार का सामना करना पड़ा था.
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जो बाइडेन से चुनाव के तुरंत बाद ही समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने जब उनसे बात की तो अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि मतदाताओं के पास अब इस देश के भविष्य के बारे में निर्णय लेने का विकल्प है.