रूस 24 फरवरी 2022 से यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ रहा है. इजरायल-हमास की जंग पर व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि आवासीय क्षेत्रों में भारी हथियारों का इस्तेमाल सभी पक्षों के लिए गंभीर नतीजे ला सकता है.
गाजा पर जमीनी हमले के लिए इजरायल ने 2 लाख सैनिक तैनात किए हैं. 3.60 लाख सैनिक रिजर्व रखे गए हैं. अमेरिका हमास से लड़ने में इजरायल की भरपूर मदद कर रहा है. लेकिन जानकारों की मानें, तो गाजा में घुसकर हमास को खत्म करना इजरायल के लिए आसान नहीं है. गाजा में हमास की खुफिया सुरंगों को पार करना इजरायली सेना के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
इन सुरंगों का इस्तेमाल हमास अपने लड़ाकों, हथियारों और यहां तक कि अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी के लिए करता है. ये सुरंगें कहां से निकलती हैं और कहां खत्म होती हैं, उनका पता लगाना बेहद मुश्किल है. कई बार हमास आतंकी किसी घर से सुरंग खोदतें हैं, जो सीमा पार किसी दूसरे घर में खुलती है. ऐसे में ऊपर से भी उनकी निगरानी नहीं की जा सकती है.
संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादियों ने चेतावनी दी है कि विस्थापितों तक आवश्यक आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंचने के कारण गाजा में भोजन, पानी, बिजली और महत्वपूर्ण आपूर्ति खत्म होने के कगार पर है.
गाजा शहर की 10 लाख से अधिक की आबादी में ज्यादातर उन शरणार्थियों के वंशज हैं, जो 1948 में इसकी स्थापना के समय इजरायल से भाग गए थे या अपने घरों से निकाल दिए गए थे.
Israel Palestine Conflict: गाजा की जमीनी सीमा पर दो मुख्य एंट्री /एक्जिट पॉइंट हैं, जिनके जरिए यहां के लोगों को बाहर जाने की परमिशन दी जाती है. उत्तर में इरेज़ क्रॉसिंग है, जिसे इजरायल कंट्रोल करता है, जबकि राफा क्रॉसिंग को इजिप्ट की ओर से नियंत्रित किया जाता है.
ज़मीनी आक्रमण हिजबुल्लाह को इज़राइल-हमास युद्ध में अपनी भागीदारी और बढ़ाने के लिए भी उकसा सकता है. बता दें कि इज़रायल और हिजबुल्लाह के बीच लेबनान सीमा पर गोलीबारी हो रही है, लेकिन अभी तक पूरी तरह से टकराव नहीं हुआ है.
Israel Hamas War: केंद्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी जी ने तय किया है कि जो भी भारतवासी मुश्किल में है देश और देश की सरकार उनके साथ खड़ी रहेगी."
दरअसल, 'स्काईन्यूज़' के साथ एक इंटरव्यू में इज़रायल के पूर्व प्रधानमंत्री नफ़्टाली बेनेट से पूछा गया था कि बिजली काट देने की वजह से ग़ाज़ा पट्टी में स्वास्थ्य सुविधाएं और सेवाएं किस तरह प्रभावित हुईं, जिनमें लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम और नवजातों के लिए इन्क्यूबेटर भी शामिल हैं.
"हमारे पास पहले दो दिनों के लिए पर्याप्त भोजन, पानी और बिजली थी, लेकिन हमारी सबसे बड़ी चुनौती हमारे पीड़ित बच्चों से निपटना था. वे लगातार रो रहे थे, खाने से इनकार कर रहे थे और हमसे बेहद मुश्किल सवाल पूछ रहे थे... हम यहां क्यों पैदा हुए..? इजरायली सेना हमें क्यों मारना चाहती है...?"