रमजान के महीने में अयोध्या के श्री सीताराम मंदिर में इफ्तार का आयोजन किया गया. रमजान के पाक महीने में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम करते हुए, धार्मिक भावनाओं से परे सोमवार को अयोध्या के श्री सीताराम मंदिर के परिसर में इफ्तार के लिए सभी एक साथ आए.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार की सुबह राजधानी के हनुमान सेतु स्थित बजरंग बली के मंदिर में पूजा अर्चना की थी. अचानक सुबह नौ बजे बजरंग बली के मंदिर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी को देखकर लोगों ने जय गोरखधाम और बजरंगबली की जय के नारे लगाने शुरू कर दिए. योगी ने मंदिर में करीब 25 मिनट रुककर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की और श्रद्धालुओं के साथ बैठकर आँख बंद करके हनुमान चालीसा का पाठ किया. योगी ने हनुमान सेतु पर मौजूद मीडिया से कोई बात नहीं की और मुस्कुराते हुए वापस लौट गए. हनुमान सेतु मंदिर पर पूजा पाठ के बाद योगी ने वहां मौजूद मीडिया से कोई बात नहीं की. मीडिया के सवालों पर वे सिर्फ मुस्कुराते रहे.
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में एक और याचिका दाखिल की गई है. निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दाखिल की है और इस याचिका में केंद्र सरकार की अयोध्या में अधिग्रहीत की गई अतिरिक्त जमीन को वापस देने की अर्जी का विरोध किया है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एफ.एम.आई. कलीफुल्ला को अयोध्या विवाद की मध्यस्थता के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.
अयोध्या मामले में मध्यस्थता को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी की फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती (Uma Bharti) ने कहा कि यह देश सेक्युलर है, इसलिए जहां राम लला विराजमान हैं, भव्य मंदिर का निर्माण वहीं पर हो सकता है.
अयोध्या मामले (Ayodhya Case) पर मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि इस विवाद को मध्यस्थता और बातचीत के जरिए तय किया जाएग. मध्यस्थता समिति के अध्यक्ष जस्टिस खलीफुल्ला होंगे और पूरी प्रक्रिया गोपनीय रखी जाएगी. मध्यस्थों में श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) भी शामिल होंगे. इसके अलावा वरिष्ठ वकील श्री राम पंचू होंगे. इससे पहले बुधवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर फैसला सुरक्षित रख लिया था कि अयोध्या विवाद को मध्यस्थ के पास भेजा जा सकता है या नहीं.
अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में मध्यस्थता पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अगुवाई में पांच जजों की संविधान पीठ ने इस मामले की बुधवार को सुनवाई की. हालांकि, अभी सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं बताया कि वह इस पर फैसला कब सुनाएगी. सुनवाई के दौरान जहां मुस्लिम पक्ष मध्यस्थता के लिए तैयार दिखा, वहीं हिंदू महासभा और रामलला पक्ष ने इस पर सवाल उठाए. हिंदू महासभा ने कहा कि जनता मध्यस्थता के फैसले को नहीं मानेगी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछली सुनवाई के दौरान सुझाव दिया था कि दोनों पक्षकार बातचीत का रास्ता निकालने पर विचार करें. अगर एक फीसदी भी बातचीत की संभावना हो तो उसके लिए कोशिश होनी चाहिए.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अगुवाई में पांच जजों का संविधान पीठ ये तय करेगा कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा जाए या नहीं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछली सुनवाई के दौरान सुझाव दिया था कि दोनों पक्षकार बातचीत का रास्ता निकालने पर विचार करें. अगर एक फीसदी भी बातचीत की संभावना हो तो उसके लिए कोशिश होनी चाहिए.
संविधान पीठ ने कहा था कि मुख्य मामले की सुनवाई 8 हफ्ते के बाद होगी तब तक आपसी समझौते से विवाद को सुलझाने का एक प्रयास किया जा सकता है.
अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के मुद्दे को राष्ट्र के गौरव से जुड़ा बताते हुए योग गुरु रामदेव (Yog Guru Ramdev) ने शुक्रवार को कहा कि भगवान राम केवल हिंदुओं के नहीं, बल्कि मुसलमानों के भी पूर्वज हैं.